PETA इंडिया का पाकिस्तान से अनुरोध : गधों को हिंसक मौत मरने के लिए चीन को निर्यात न करें।

समूह ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्री को एक विडियो प्रेषित किया है जिसमे चीन में हथौड़ों के द्वारा गधों को मौत के घाट उतारते दिखाया गया है।

इस्लामाबाद : इस खबर के बाद की चीन में गधों की खाल एवं ejiao (एजीआयो) नामक पारंपरिक दवा बनाए जाने के लिए पाकिस्तान चीन को गधे निर्यात करेगा, PETA इंडिया ने तत्काल कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान सरकार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्री श्री साहिबजादा मोहम्मद महबूब सुल्तान को एक पत्र लिखकर गधे निर्यात करने की योजना को निरस्त करने का आग्रह किया है। PETA इंडिया द्वारा लिखे गए पत्र में PETA ने चीन में गधों की मौत पर की गयी अपनी उस जांच का संदर्भ दिया है जिसमे दिखाया गया है की चीन में गधों से “जिलेटिन” प्राप्त करने के लिए फार्महाऊस पर हजारों की तादात में गधों को गंदे, बदबूदार, तंग व सीमेंट के बने पक्के बाड़ों में रखा जाता है, उनकी पिटाई की जाती है तथा श्रमिक उनके सर पर हथौड़ों से वार करते है, व फिर तेज धारदार चाकू से उनका गला रेत देते हैं। तड़फते हुए गधे कटी गर्दन के बावजूद सांस लेने का प्रयास करते हैं ।

पत्र में PETA इंडिया ने इंगित किया है पाकिस्तान में तो गधे “प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट, 1890’ कानून के तहत “अनावश्यक पीड़ा एवं दर्द” से संरक्षित हैं किन्तु चीन में गधों की सुरक्षा हेतु कोई कानून नही है। समूह ने पाकिस्तानी मंत्री से अपील की है की जिस तरह से भारत में गन्ना फेक्ट्रियों, ईंट उद्योग व ऐसे ही अन्य स्थानों पर पशुओं की जगह मशीनी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है उसी प्रकार से पाकिस्तान भी गधों को निर्यात करने की बजाय उद्योगों में पशुओं की जगह ट्रेक्टर व अन्य मशीनीकरण संसाधनों के इस्तेमाल से अपनी उत्पादन क्षमता व दक्षता को बढ़ा कर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है।

हाल ही के वर्षों में चीन अथवा चीन के बाहर ejiao (एजीआयो) के इस्तेमाल से बनने वाले पदार्थ जैसे मिठाइयाँ, सनैक्स तथा सौन्दर्य प्रसाधन की मांग में तेजी आई है इसलिए चीन में मौत के लिए गधों का आयात बढ़ा है, हालांकि वहां घोड़ों, सुवरों एवं गायों को मारकर उनसे भी नकली ejiao (एजीआयो) प्राप्त किया जा रहा है। चीन में चायनीस दवाओं के डॉक्टर, डॉ. ली यूमिंग के अनुसार- “पारंपरिक दवा के रूप में इसका लंबा इतिहास होने के बावजूद ejiao (एजीआयो) के बारे में एक गलत धारणा है की इसके सेवन से खून की बढ़ोत्तरी होती है। आजकल बाज़ार में आधुनिक एवं हर्बल दवाओं के अनेक बेहतरीन विकल्प मौजूद है जो स्वास्थ्य सुधार में सक्षम हैं”

PETA इंडिया के CEO डॉ. मणिलाल वालियाते कहते हैं –“गधों से एक ऐसे पदार्थ को पाने के लिए जिसकी किसी को जरूरत ही नही है, चीन में महज़ 5 माह की उम्र के गधों के सिर पर हथौड़ों से वार करके उनको धीमी व दर्दनाक मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। PETA इंडिया पाकिस्तान से आग्रह करता है की वो गधों के निर्यात से क्रूर उद्योगों का समर्थन करने की बजाय अपने मुल्क में मशीनीकरण परियोजना लागू करके गधों को इस वीभत्स पीड़ा से निजात दिलाये। हम आप सबसे भी यही अनुरोध करते हैं कि कृपया गधे से प्राप्त जिलेटिन पदार्थ से बनी दवाओं एवं भोजन का सेवन न करें व अपने परिजनो एवं दोस्तों को उनका त्याग करने हेतु प्रेरित करें।“

PETA इंडिया जो इस सरल सिधान्त के तहत कार्य करता है कि जानवर किसी भी प्रकार से हमारा भोजन बनने या दुर्व्यवहार सहने के लिए नही है, ने इस बात को दस्तावेज़ किया कि चीन के फार्महाउस में गधे अपने ही मलमूत्र में सने खड़े थे। कुछ इतने कमजोर, बीमार व कुपोषित थे चल फिर तक नही पा रहे थे। उनको पीने के लिए दिया जा रहा पानी गंदा व शैवाल से भरा था। श्रमिकों नें स्वयं PETA एशिया के जांचकर्ता को बताया था कि गधों की देखभाल न करने के एवज़ में पर्यावरण निरीक्षक उन पर दण्ड शुल्क लगा सकता है या फिर उनके फार्महाऊस को बंद भी कर सकता है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया PETAIndia.com. की वेबसाईट पर जाएँ।
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