PETA इंडिया के नए विडियो का खुलासा- 2019 में आयोजित जल्लीकट्टू के दौरान बैलों को बुरी तरह से मारा व पीटा गया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, जब से जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दी गयी है तब से अब तक कम से कम 34 व्यक्तियों व 12 बैलों की मौत हो चुकी है।

दिल्ली : आज, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने तमिलनाडू राज्य के मदुरई, पुडुकोट्टई, डिंडुगुल एवं त्रिपुर जिलों में 7 जल्लीकट्टू आयोजनों पर की गयी जांच का खुलासा किया। PETA इंडिया ने अपनी जांच में विडियो फूटेज एवं रिपोर्ट से यह साबित किया कि जल्लीकट्टू में जानवरों पर अभी भी अत्यंत क्रूरता हो रही है व यह खेल इन्सानों के लिए भी लगातार घातक साबित हो रहा है।

PETA इंडिया की 2019 की जांच, जानवरों पर गंभीर क्रूरता एवं खतरनाक स्थितियों का खुलासा करती है जिनमे कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं –

• बैलों को थप्पड़ मारे गए, नुकीली छड़े चुभोई गयी व डंडों से पीटा गया
• उत्तेजित भीड़ की ओर तेजी से भगाने के लिए बैलों की पूंछ को दांतों से काटा, मरोड़ा व झटका गया ।
• उनको नाक में बंधी रस्सी से घसीटा गया जिस कारण उनके नाक से खून बहने लगा।
• घबराए हुए बैल गांव की सड़कों की तरफ दौड़े, उन्होने दर्शकों को घायल कर दिया व कुछ को मौत के घाट उतार दिया।
• दर्शक, कलेक्शन यार्ड की तरफ से भागने वाले बैलों के ऊपर कूद गए, उन्हें मारा और वहां जल्लीकट्टू के जैसा एक और जल्लीकट्टू शुरू कर दिया।
• बैलों को गंभीर चोटें लगी और कुछ जानवर थक कर गिर गए।

समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2017 में “प्रीवेनशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स (तमिलनाडू संशोधन) एक्ट, 2017” के द्वारा पुनः अनुमति दिये जाने से लेकर अब तक आयोजित जल्लीकट्टू आयोजनों में कम से कम 34 इन्सानों एवं 12 बैलों की जान जा चुकी है। जबकि 100 से अधिक लोग घायल व जख्मी हो चुके हैं। इस प्रकार के आयोजनों में इन्सानों एवं बैलों के साथ हुई दुर्घटनाओं के सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि समाचार संस्थान बैलों की मौत की जानकारी नहीं देते व जल्लीकट्टू आयोजन के दौरान घायल हो जाने व कुछ दिन की पीड़ा के बाद मर जाने वाले इन्सानों की मौत की जानकारी भी नहीं प्रदान करते।

PETA इंडिया के सी.ई.ओ. डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं- “PETA इंडिया साल दर साल जल्लीकट्टू के दौरान बैलों एवं इन्सानों की मौत की खबरें तथा बैलों को गंभीर प्रताड़ना देकर जबरन प्रतिभाग कराये जाने की दर्दनाक कहानी आपके सामने लाता रहा है। जल्लीकट्टू स्वाभाविक रूप से क्रूर एवं खतरनाक प्रथा है जिसका आजकल के आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है। PETA इंडिया इन क्रूर आयोजनों पर तत्काल रूप से रोक लगाने की मांग करता है।“

PETA इंडिया द्वारा वर्ष 2017, 2018 व 2019 में की गयी जाँचे तथा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा 2011 से लेकर 2014 के बीच करायी गयी विभिन्न जाँचों से साबित हुआ है कि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” तथा जब से “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (जल्लीकट्टू आयोजन) नियम 2017” लागू हुआ तब से इन नियमों का लगातार उलंघन होने के साथ साथ जल्लीकट्टू में बैलों पर निरंतर रूप से क्रूरता होती आ रही है। “पशु क्रूरता निवारण (तमिलनाडू संशोधन) अधिनियम, 2017” जल्लीकट्टू आयोजनों कि अनुमति प्रदान करता है जबकि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (जल्लीकट्टू आयोजन) नियम 2017” उलंघनकर्ताओं को भविष्य में ऐसा न करने कि हिदायत देता है। परिणामस्वरूप, जो लोग जल्लीकट्टू आयोजनों के दौरान बैलों को लगातार प्रताड़ित करते हैं वह किसी भी प्रकार के जुर्माने या जेल की सज़ा के अधीन नहीं आते। PETA इंडिया सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जल्लीकट्टू पर स्थायी रूप से रोक लगाने के प्रयास कर रहा है।

PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन के लिए या किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है” हमेशा से प्रजातिवाद का विरोध करता है जो कि इंसान का वरचसवाड़ी होने का एक नजरिया है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ।