बंदी हाथियों को गैरकानूनी तरीकों से कैद करके रखने एवं हाथीदाँत व्यापार की संभावना पर, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने राजस्थान सरकार से जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया।

पिछले वर्ष, PETA इंडिया की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए ब्यूरो ने राजस्थान सरकार को इस मामले की जांच करने के आदेश दिये थे।

जयपुर- पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स की एक अन्य शिकायत पर कार्यवाही करते हुए, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (देश में संगठित वन्यजीव अपराध को नियंत्रित करने के लिए बनाई गयी वैधानिक निकाय) ने राजस्थान के मुख्य वन्यजीव वार्डन को तत्काल रूप से मामले की जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) का यह कदम भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड की उस रिपोर्ट पर की गयी कार्यवाही है जिसमे कहा गया था जयपुर में आमेर के किले पर हाथीसवारी हेतु इस्तेमाल हो रहे हाथियों के दाँत कटे हैं, जो गैरकानूनी हाथी दाँत व्यापार की संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं, तथा हाथीमालिकों के पास मिले मालिकाना प्रमाणपत्रों में भी अनेकों अनियमितताएं हैं। पिछले वर्ष, WCCB ने राजस्थान के मुख्य वन्यजीव वार्डन को पत्र भेजकर इस मामले की जांच करने व जल्द जांच रिपोर्ट भेजने का आग्रह किया था। हालांकि इस मामले पर राजस्थान सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है।

वर्ष 2018 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा जयपुर में बंदी हाथियों पर की गयी एक जांच रिपोर्ट में पाया गया था कि 102 हाथियों की देखभाल में ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972’ की अनेकों धाराओं का उल्लंघन हो रहा है जैसे मालिकाना हक का अवैध रूप से हस्तांतरण, हाथियों को अन्य राज्यों से राजस्थान लाने हेतु यातायात के तरीके तथा अनेकों मामलों में हाथियों का मालिकाना प्रमाण पत्र। राजस्थान वन विभाग द्वारा जारी किए गए 48 प्रमाणपत्रो में विभाग ने ‘हाथी के वर्तमान बाज़ार मूल्य’ को आधार बनाया है जबकि हाथी की व्यावसायिक कीमत का आंकलन करना कानूनन प्रतिबंधित है व यह स्वामित्व प्रमाणपत्र को अमान्य बनाता है। 47 हाथियों के दाँत कटे पाये गए थे, जिस हेतु मालिकों के पास कोई ऐसा दस्तावेज़ मोजूद नहीं था जो यह साबित करे की हाथियों के दाँत काटने की अनुमति वन विभाग द्वारा दी गयी थी, इससे जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे की यह कहना गलत नहीं कि यहाँ अवैध हाथी दाँत का व्यापार हो रहा है।

PETA इंडिया के एस्सोसिएट डाएरेक्टर ऑफ पॉलिसी, निकुंज शर्मा कहते हैं- “जयपुर में गैर कानूनी तरीकों से बंदी बनाकर रखे गए बीमार एवं चोटिल हाथियों से जबरन पर्यटक-सवारी कराई जा रही है। PETA इंडिया अनुरोध करता है की इन हाथियों को तत्काल रूप से जब्त करके किसी प्रतिष्ठित हाथी देखभाल केंद्र में भेजा जाए जहां उन्हे कभी पर्यटकों का मनोरंजन एवं जंजीरों में बंधकर न रहना पड़े।“

PETA इंडिया जो इस सरल सिधान्त के तहत कार्य करता है की जानवर हमारे मनोरंजन हेतु नहीं है, इस बात का संज्ञान लेता है कि इन 47 हाथियों के कटे हुए दाँत का कुल भार तकरीबन 23.5 से लेकर 47 किलोग्राम तक होगा जो पर्याप्त क्षमता में होने वाले अवैध व्यापार को उजागर करता है। वन्यजीव वार्डन बनाम कोमारीक्कल एलियास मामले पर सुनवाई करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि हाथी दाँत सरकार की विरासत है जिसे वन्यजीव (संरक्षण) कानून की धारा 39(1) में भी स्पष्ट रूप से लिखा गया है।

भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी की गयी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जाँचे गए हाथी, पैरों की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं जिसमे बढ़े व टूटे फूटे नाखून, नाखूनों के आसपास की तवचा सख्त, सूजी व कटी-फटी है व बहुत से हाथी अपने सिर को गोल गोल घुमाते रहते हैं जो उनके गंभीर मनोवेज्ञानिक तनाव का सूचक है। जांच किए गए सभी हाथियों से आमेर के लिए पर 200 किलोग्राम से भी अधिक भार ढुलवाया जा रहा है जबकि कानून के अनुसार पहाड़ पर भार धोने की अधिकतम सीमा 200 किलोग्राम है।

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