‘विश्व शाकाहारी दिवस’ से पहले PETA इंडिया के सदस्यों द्वारा “रक्त-स्नान” प्रदर्शन
शाकाहारी जागरूकता माह (अक्टूबर), विश्व शाकाहारी दिवस (1 अक्तूबर), गांधी जयंती (2 अक्तूबर) के उपलक्ष्य में पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया, रोटारैक्ट क्लब चंडीगढ़ हिमालयन, और आश्रय के सदस्यों ने खुद को लाल रंग से रंगकर खूनी स्नान के संकेतक के रूप में उन करोड़ों जानवरों हेतु प्रदर्शन किया जो हर साल बूचड़खानों में बेमौत मारे जाते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वह प्रतिवर्ष मांस, अंडा और डेयरी उद्योगों में कास्ट, पीड़ा एवं दर्दनाक मौत का शिकार होने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बचाने जैसा पुण्य काम करता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गियों के गले काटे दिये जाते हैं, जिंदा मछलियों को काट दिया जाता है या पानी से बाहर निकाल कर रख दिये जाने उनका दम घुट जाता है, सीने में चुरा घोंपकर सुवरों की हत्या कर दी जाती है वह दर्द में चीखते हैं और जन्म के कुछ ही समय बाद छोटे छोटे बछड़ों को उनकी माताओं से खींचकर अलग कर दिया जाता है। कत्लखानों जानवरों को पूरी तरह से सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनको एक दूसरे के सामने ही काट दिया जाता है।
वीगन जीवनशैली जीने वाले लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना भी कम होती हैं जो भारत जैसे देश में यह सब समनाया स्वस्थ्य समस्याएँ हैं। वीगन लोग मांसाहारी लोगों की तुलना में अधिक फिट एवं पतले होते हैं। इसके अलावा, पशु कृषि जल प्रदूषण, वनों की कटाई और भूमिक्षरण का एक प्रमुख कारण है, और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन को अपनाने हेतु वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव की जरूरत है।