दिल्ली उच्च न्यायालय ने एशियाड सर्कस से पूछा- हिप्पो कहाँ है ?

PETA कैद में रखे गए हिप्पो को रिहा कर उसके परिवार के पास भेजे जाने हेतु कोर्ट में याचिका दायर की थी।

दिल्ली- PETA इंडिया द्वारा हिप्पो की रिहाई हेतु डाली गयी याचिका पर कार्यवाही करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने एशियाड सर्कस से जवाब तलब किया है की गैरकानूनी तरीके से कैद में रखा गया हिप्पो इस समय कहाँ है ? उच्च न्यायालय ने PETA इंडिया को एक सप्ताह के अंदर याचिका की एक प्रति देने तथा उसके 10 दिन के अंदर एशियाड सर्कस को जवाब देने का आदेश जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर 2019 को होगी।

PETA इंडिया ने अपनी याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया था की हिप्पो को कब्जे में लेकर संजय गांधी बायोलोजिकल पार्क पटना को सौंपे जाने के आदेश जारी करे क्यूंकि इस हिप्पो का जन्म वही हुआ है व वहाँ भेजे जाने से वो पुनः अपने माता पिता से मिल पाएगा। PETA समूह ने वर्ष 2017 में एशियाड सर्कस में की गयी जांच रिपोर्ट भी जमा की है। PETA ने अपनी याचिका में न्यायालय से यह भी अनुरोध किया है कि वो पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय को आदेश जारी करे कि वो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को विदेशी वन्यजीवों जिनमे हिप्पो, पक्षी व अन्य जीवों को भी “वन्यजीव (संरक्षण) कानून, 1972 के तहत संरक्षित किया जाए क्यूंकि अभी यह जीव इस कानून के दायरे से बाहर हैं। इस कानून के दायरे में आने से इन समस्त वन्यजीवों को भी मनोरंजन गतिविधियों जैसे की सर्कस हेतु कैद एवं परिवहन किए जान से निजात मिल सकेगी।

PETA इंडिया के लीगल एसोसिएट आमिर नबी कहते हैं- “जंगल में यह हिप्पो एक सामाजिक पशु के रूप में जीवन जीते हैं जो अपने परिवार के साथ मिलकर रहते हैं तथा 16-16 घंटे तक का समय वो नदी एवं झील में व्यतीत करते हैं। किन्तु एशियाद सर्कस में इस अकेले हिप्पो के इन सब प्रकार की गतिविधियों से वंचित रखा गया है। PETA इंडिया इस याचिका के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वो इस मामले में दखल देकर हिप्पो की रिहाई के आदेश दें ताकि वह अपने परिवार से मिल सके जहां वो अपने परिवार की संगत में एक सामाजिक एवं नैतिक जीवन जी सकेगा।”

2015 में हिप्पो को एशियाड सर्कस में स्थानांतरित किया गया था। तब से, वह एक तंग बाड़े में एकांत कारावास में रखा गया है, जो कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के न्यूनतम बाड़े के नियमों और अनिवार्य सामाजिक जीवनयापन की सुविधाएं दिये जाने के दिशानिर्देश जिसमे उसे एक महिला हिप्पो के साथ रखा जाना चाहिए, जैसे नियमों का उलंघन है। इसके अतिरिक्त, एशियाड सर्कस के प्रदर्शनकारी पशु पंजीकरण प्रमाणपत्र को 2016 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा निरस्त कर दिया गया था और “बंदी पशु सुविधा” मान्यता के लिए प्रदर्शक का आवेदन अभी भी केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के पास लंबित है। इस हिप्पो का उपयोग किया जाना “पशु क्रूरता अधिनियम, 1960, और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का स्पष्ट उलंघन है।

PETA इंडिया जो इस सरल सिधान्त के तहत काम करता है कि जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है, द्वारा एशियाड सर्कस पर वर्ष 2017 में की गयी जांच से खुलासा किया कि सर्कस के शो के बाद दर्शकों को हिप्पो बाड़े के करीब पहुंचने की अनुमति दी गयी थी जो कि दर्शकों की सुरक्षा को खतरे में डालने के समान है क्यूंकि हिप्पो उन पर आक्रमण कर सकता था। हिप्पो के बाड़े में पानी की छोटी टंकी में केवल गन्दा पानी था और उसे ठोस कंक्रीट के फर्श पर रखा गया था जिससे उसके पैरों में गठिया हो सकता था।

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