दर्जनों समर्थकों ने पशुओं की तरह मृत लेटकर माँस उद्योग द्वारा पशुओं पर किए जाने वाले अत्याचार को प्रदर्शित किया
विश्व वीगन दिवस (1 नवंबर) से ठीक पहले, PETA इंडिया के दर्जन भर समर्थकों ने एक बाइनर जिस पर लिखा था “माँस यानि हत्या”, कृपया वीगन बने” के सामने गाय, बकरी, मुर्गी एवं मछ्ली की आकृति में मृत पशु के माँस के रूप में लेटकर प्रदर्शन किया
महज़ एक ऐसे भोजन जिसे खाने की भी जरूरत नहीं है, के लिए प्रतिवर्ष ज़मीन पर रहने वाले करोड़ों जानवरों एवं अरबों मछलियों का बेरहमी से कत्ल कर देना, अपराध माना जाना चाहिए। इस विश्व वीगन माह पर हम सभी लोगों से आग्रह करते हैं की स्वस्थ एवं स्वादिष्ट वीगन भोजन अपनाकर पशुओं की मूर्खतापूर्ण हत्या को समाप्त करने में मदद करें।
एक व्यक्ति द्वारा वीगन जीवनशैली अपनाने से हर वर्ष माँस, अंडा एवं डेयरी उद्योग में कष्ट एवं यातनाओं के द्वारा भयानक मौत मरने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बच जाती है। भोजन के लिए मारे जाने वाले जानवरों जैसे मुर्गियों, गायों, सूअरों, बकरियों और अन्य जानवरों को कत्ल्खनोन तक लेजाने के लिए इतनी अधिक संख्या में वाहनों में लादा जाता है कि परिवहन के दौरान उनके अस्थि-पंजर एवं हड्डियाँ टूट जाती हैं। कत्लखानों में कसाई उनके गले से उल्टा लटका जिंदा रहते ही तेज धारदार ब्लेड से उनका आधा गला काट कर उन्हे धीमी एवं दर्दनाक मौत मरने के लिए छोड़ देते हैं।
वीगन जीवन शैली जीने वाले लोगों में हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना कम होती है जबकि भारत में यह सब सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं और यह लोग मांस खाने वालों की तुलना में औसतन अधिक फिट व स्वस्थ्य रहते हैं। इसके अलावा, मांस के लिए पशुपालन ही जल प्रदूषण और भूमि क्षरण की समस्या का एक प्रमुख कारण भी है। 2010 के संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों का मुकाबला करने के लिए वीगन भोजन अपनाने की ओर एक वैश्विक बदलाव आवश्यक है।