जीत! दवाएं बनाने वाली कंपनी Pfizer ने क्रूर तैराकी परीक्षण पर रोक लगाई।
PETA यू.एस. द्वारा लगभग पिछले एक वर्ष से दिये जा रहे दबाव के फलस्वरूप, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी Pfizer ने अब जानवरों पर क्रूरतापूर्वक जबरन तैरने वाले परीक्षणों का करने या करवाने हेतु वित्तपोषण करने पर रोक लगा दी है। यह परीक्षण – जिसमें नन्हें जीवों को पानी से भरे बीकरों में डाल दिया जाता है और डूबने से बचने के लिए उन्हे जबरन तैरते रहने के लिए मजबूर किया जाता है। और यह सब इसलिए की इस प्रक्रिया के द्वारा उनका मानसिक तनाव जांचा जा सके ताकि उसके अनुसार मनुष्यों हेतु मानसिक तनाव एवं अवसाद की दवा का निर्माण किया जा सके। हालांकि, तनाव को दूर करने वाली दवाओं की प्रभावशीलता को जाँचने के लिए यह परीक्षण बिलकुल भी सही व सटीक जानकारी नहीं प्रदान करते फिर भी Pfizer द्वारा पिछले 18 वर्षों से इन्सानों हेतु तनाव एवं अवसाद का इलाज करने के लिए बेहतरीन दवाओं का निर्माण नहीं किया जा सका है।
प्रकाशित पत्रों के अनुसार, Pfizer ने 1991 के बाद से जीवों पर जबरन तैराकी परीक्षणों में कम से कम 1,270 चूहों और छुछुंदरों का इस्तेमाल किया है। इस जीत का मतलब है अब नन्हें जीवों को पानी में डूब कर क्रूरता भरी मौत से छुटकारा मिल गया है।
PETA यूएस और इसके सहयोगियों द्वारा आक्रामक विरोध प्रदर्शनों के चलते Pfizer द्वारा यह क्रूर परीक्षण बंद करने के साथ ही Pfizer उन प्रमुख फार्मास्यूटिकल दिग्गजों की सूची में शामिल हो गया है जो पहले से ही इन क्रूर परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। इस सूची में Johnson & Johnson, Roche, AbbVie, Boehringer Ingelheim, Sage Therapeutics, AstraZeneca, तथा Novo Nordisk कंपनीय शामिल हैं। जानवरों के लिए इस रोमांचक उपलब्धि का मतलब है कि यह समस्त कंपनियां PETA यूएस की नीतियों से सहमत है व यह मानती हैं की पशुओं एवं जीवों पर इस तरह के क्रूर परीक्षण की बजाय मानवीय, उन्नत, पशु-मुक्त अनुसंधान विधियों में निवेश करने का समय है जो वास्तव में इन्सानों की बीमारियों हेतु दवाओं के निर्माण मे मददगार है।
PETA India volunteers raised awareness about the cruelty inflicted on rodents in forced swim tests— worthless experiments where animals are forced to swim until they drown. Support us in calling for an end to this abuse: https://t.co/YLyhpU8u8K pic.twitter.com/XiFg23mQ2r
— PETA India (@PetaIndia) September 4, 2019
मुख्य संदेश
जीवों पर जबरन तैराकी परीक्षण करना क्रूरता है और एक तरह से यह बुरा विज्ञान है। यह प्रयोग जानवरों को भयभीत करने से ज्यादा कुछ नहीं करते हैं इसलिए इस दिशा में नए एवं प्रभावी उपचारों हेतु नयी परीक्षण विधियों की खोज करने की सख्त आवश्यकता है।
आप क्या कर सकते हैं ?
लगभग 5 लाख से अधिक PETA यूएस समर्थकों ने कार्यवाही करते हुए Pfizer को ई मेल किया व इस तरह के क्रूर परीक्षणों पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
लेकिन अभी भी दवा निर्माण करने वाली दो दिगज्ज कंपनियाँ Bristol-Myers Squibb एवं Eli Lilly इस तरह के क्रूर परीक्षण कर रहीं हैं व उन्होने इस पर पाबंधी लगाने से मना कर दिया है। आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके दोनों कंपनियों को बता सकते हैं कि जानवरों पर इस तरह के क्रूर परीक्षण करना अनैतिक है व यह संसाधनों एवं प्राणियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ के अलावा और कुछ भी नहीं।
पशुओं पर होने वाले परीक्षणों के विरोध हेतु कदम उठाएँ।