थाईलैंड के बेट्टा मछली उद्योग पर PETA एशिया की नयी जांच का वीडियो दर्शाता है की यहाँ इन मछलियों का जीवन पीड़ा एवं क्रूरता से भरा है। वीडियो में दिखाया गया है कि इन मछलियों को इतने छोटे जार में रखा जाता है की उनका पूरा शरीर भी पानी में नहीं डूब पता। जांचकर्ता – जिन्होंने 10 प्रजनन केन्द्रों का दौरा किया और देखा की पैकिंग से पहले इन मछलियों को लंबे समय तक पानी से बाहर निकाल कर छोड़ दिया गया।
हर खरीद के लिए मछलियों पर अत्याचार होता है
विश्वभर में बेची जाने वाली बेट्टा मचलियाँ दक्षिणपूर्व एशिया एवं थाईलेंड के प्रजनन कारखानों से निर्यात की जाती हैं। PETA एशिया के जांचकर्ता ने देखा की हर केंद्र पर मचलियाँ मरी हुई थी। बहुत सी मचलियाँ टैंक के अंदर ही मर चुकी थी जिनहे श्रमिकों वहाँ से हटाने तक की जहमत नहीं की थी। एक केंद्र में, जांचकर्ता को एक ऐसी बाल्टी मिली जिसमें मरी हुई व जीवित दोनों तरह की मचलियाँ थी। जिन मछलियों की पूंछ टूट जाती है या क्षतिगृस्त हो जाती है उन्हे इस उद्योग में बेकार समझा जाता है, एक श्रमिक ने बताया कि ऐसी मचलियाँ उनके किसी काम कि नहीं होती इसलिए उन्हें पास के तालाब या नहर में फेंक दिया जाएगा। इन मछलियों को उनके हाल पर ऐसे तलबों या नहरों में फेंक दिया जाता है जहां वो रहने की आदि नहीं होती।
इस केंद्र में हजारों मछलियों को छोटी व गंदी बोतलों में रखा गया है। यहाँ पानी की मात्रा इतनी कम है कि मछलियों के कचरे से बनने वाले अमोनिया से यह बहुत जल्द दूषित हो जाता है। इन बोतलों को एक साथ इतनी कसकर पैक किया गया था कि श्रमिक इन बोतलों के उपर आसानी से चल फिर पा रहे थे।
जांचकर्ता ने जिन भी केन्द्रों का दौरा किया वहाँ मरी हुई मछलियाँ देखी। बहुत सी मचलियाँ फर्श पर पानी से बाहर निकाल कर छोड़ दिये जाने से सांस घुटने के कारण फर्श पर पड़ी हुई थी व कुछ तड़फ रही थी।
एक केंद्र में, जांचकर्ता को एक ऐसी बाल्टी मिली जिसमें मरी हुई व जीवित दोनों तरह की मचलियाँ थी। जिन मछलियों की पूंछ टूट जाती है या क्षतिगृस्त हो जाती है उन्हे इस उद्योग में बेकार समझा जाता है, एक श्रमिक ने बताया कि ऐसी मचलियाँ उनके किसी काम कि नहीं होती इसलिए उन्हें पास के तालाब या नहर में फेंक दिया जाएगा।
भूखी एवं हताश : बेट्टा मछलियों की दर्दनाक यात्रा थाईलेंड से शुरू होती है
भारत व अन्य देशों को भेजे जानी वाली बेट्टा मछलियों को आमतौर पर बिना किसी भोजन के ही कंटेंटरों में पैक कर दिया जाता है और इन देशों तक पहुँचने में कई दिन लग जाते हैं। एक कार्यकर्ता ने जांचकर्ता को बताया कि यात्रा से पहले ट्रैंक्विलाइज़र (पदार्थ) को पानी में मिला दिया जाता है ताकि भूख से हताश मछलियाँ अपनी पूंछ न काट खाएं।
जांच किए गए केन्द्रों में थाईलेंड की एक कंपनी ऐसी थी जो अकेले यूएस को लगभग 100,000 बेट्टा मछलियाँ निर्यात करती है और यूएस में वितरकों तक पहुँचने से पहले ही उनमे से लगभग 1,000 मछलियाँ रास्ते में ही मर जाती हैं।
शिपिंग के दौरान श्रमिक लापरवाही के चलते बहुत सी मछलियों को पानी से बाहर ही छोड़ देते हैं जिससे उनके मुंह में हवा जाने से उनका दम घुट जाता है व वह तड़फने लगती हैं।
शिपमेंट के लिए पैक किए जाने से पहले, मछलियों को बुरे तरीके से एक स्क्रीन पर गिराया जाता है व फिर छोटे छोटे प्लास्टिक के कप में भरा जाता है। इन छोटे कंटेनरों में इतना कम पानी होता है कि मछलियों का पूरा शरीर भी उसमे नहीं डूब पता।
एक बेट्टा मछली प्लास्टिक की एक थैली में बेसुध सी तैरती रहती है। आमतौर पर इन बेट्टा मछलियों को बेहद कम पानी के साथ छोटे प्लास्टिक बैग में भरा जाता है। पालतू पशुओं की दुकानों पर बिक्री हेतु पहुँचने से पहले ही अनगिनत मछलियां मर जाती हैं।
बेट्टा मछ्ली विशिष्ट आवश्यकताओं वाली जीवंत मछ्ली है। प्रत्येक मछ्ली को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 9.5 लीटर फ़िल्टर किया हुआ साफ व बहते हुए पानी की आवश्यकता होती है।
इन बेट्टा मछलियों को हवाई जहाज के द्वारा परिवहन किया जाता है व जब तक वो वितरकों के पास नहीं पहुँचती तब तक वो भूखी रहती हैं। एक कार्यकर्ता ने PETA एशिया के जांचकर्ता को बताया कि वह पानी के कंटेनर में ट्रैंक्विलाइज़र मिलाते हैं ताकि मछली अपने स्वयं के पूंछ ना काट खाएं और ऐसा करना इस उद्योग में आम बात है।
पालतू पशुओं की बिक्री वाली दुकानों में, इन मछलियों को छोटे प्लास्टिक के कपों में रखा जाता है जिनमे सिर्फ सिर्फ एक-दो इंच की ऊंचाई तक पानी होता है।
करोड़ों ग्राहकों ने पालतू जानवरों की बिक्री वाली दुकानों में गंदे पानी से भरे कंटेनरों में बीमार एवं मरी हुई बेट्टा मछलियों के पाये जाने की शिकायत की है।
आप क्या कर सकते हैं
बेट्टा मछलियों के व्यापार में बड़े पैमाने पर मछलियों के साथ अत्याचार हो रहा है। कृपया बेट्टा मछली न खरीदें या उन्हें बेचने वाली पालतू जानवरों की की बिक्री वाली दुकानों का समर्थन न करें। इस वीडियो को अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें।
मदद के अन्य तरीकों हेतु निम्नलिखित सुझावों पर गौर करें-
- PETA इंडिया के एक्टिविस्ट नेटवर्क के लिए साइन अप करें व आपके क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों में शामिल होने के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
- सभी जानवरों के कल्याण हेतु PETA इंडिया द्वारा किए जा रहे प्रयासों के समर्थन में अपना योगदान दें।
- पशु कल्याण से संबन्धित अपडेट जानकारी हेतु कृपया हमें से संबन्धित हमें Facebook, Facebook Hindi, Twitter एवं Instagram पर फॉलो करें।