PETA इंडिया की संस्थापक ने मादा जानवरों की पीड़ा को उजागर करने हेतु पशुओं की मादा प्रजातियों संग प्रदर्शन किया

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5 December 2019

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हर नस्ल की मादा प्रजातियों की पीड़ा एवं शोषण को समाप्त करने के खिलाफ महिलाओं को एक साथ आकर आवाज उठाने का आहवान

मुंबई- अगर the International Day for the Elimination of Violence Against Women (25 November) (महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस- 25 नवंबर) के द्वारा महिलाओं की पीड़ा को उजागर किया जा सकता है तो फिर इस खास दिन को और भी व्यापक बनाने के उद्देश्य से “पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया” की संस्थापक इंग्रिड न्यूकर्क ने उधड़ी त्वचा वाला भेष धारण कर अन्य प्रजाति जैसे बछड़े, मुर्गी, नागिन की मादाओं के साथ “Sisters Under the Skin – End Speciesism” संदेश लिखे बैनर के तहत मुम्बई में शुक्रवार को प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से पहले इंग्रिड न्यूकर्क ने श्रीमति नाथीबाई दामोदर ठाकरसे (SNDT) महिला विश्वविद्यालय में महिला एकता पर बात करते हुए समस्त प्रजाति की महिलाओं को शोषण के खिलाफ एकजुट होने की बात कही थी व प्रजनन प्रणाली के लिए महिलाओं के शोषण के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया था। इस अभियान में दुनिया में उन समस्त महिला प्रजातियों को शामिल किया गया जिन्हे लाभ कमाने हेतु इस्तेमाल किया जाता है जैसे अंडों के लिए पिंजरों में बंद मुर्गियाँ, प्रयोगशालाओं में बच्चे पैदा करने वाली मशीनों की तरह कैद मादा बंदर तथा डेयरी उद्योगों में दूध के लिए पाली गयी गायें-भैंसे जिनके दूध पर केवल उनके बच्चों का हक होता है लेकिन इन्सानों की जरूरतों के चलते यह दूध उनको नहीं मिल पता। PETA इंडिया का यह प्रदर्शन भी उसी अभियान का हिस्सा है जिसमे प्रजातिवाद की धारणा को नकारते हुए यह कहा गया है की प्रजातिवाद एक ऐसी सोच है जिसमे मनुष्य के अलावा बाकी अन्य प्रजातियों में असाधारण प्रतिभाओं, क्षमताओं, भावनाओं और बुद्धिमत्ता के बावजूद उन्हें इंसान से नीचे समझा जाता है व इनके शोषण, प्रजनन व मांस के लिए हत्या कर देने को सही समझा जाता है।

स्थान    : होरनिमन सर्कल गार्डेन, फोर्ट, मुंबई

समय    : शुक्रवार, 6 दिसम्बर, दोपहर 12 बजे

PETA इंडिया की संस्थापक इंग्रिड न्यूकर्क कहती हैं- “जिस तरह महिलाएं पुरुषों की संपत्ति नहीं हैं वैसे ही जानवर भी इन्सानों की संपत्ति नहीं हैं। सभी प्राणी हैं और सभी मांस और खून से बने होते हैं,सबको दर्द होता है, डर लगता है, कोई भी प्राणी नहीं चाहता ही की उन्हे प्रजनन या किसी भी अन्य तरह के शोषण के लिए कैद में रखा जाए। सभी प्राणी अपने बच्चों व छोटों से प्यार करते हैं व आज़ाद रहना चाहते हैं। हम सब एक समान हैं और मैं इसके लिए हर संभव प्रयास करूंगी की सभी महिलाएं न सिर्फ अपने अधिकारों के लिए लड़ें बल्कि महिलाओं की तरह पशुओं की मादा प्रजातियों के शोषण के खिलाफ़ भी खड़ी हों।“

हर जीवित प्राणी, प्रजाति या लिंग की परवाह किए बिना भय और कैद से मुक्त जीवन यापन करने  का हकदार है। लेकिन मानव पूर्वाग्रह के कारण, जिज्ञासु व बुद्धिमान चूहों को प्रयोगशालाओं में सताया जाता है; हर साल बूचड़खानों में अरबों गायों, मेमनों, बकरियों और अन्य जानवरों को काट दिया जाता है; कत्लखानों में ले जाने हेतु गायों और भैंसों को ठूस ठूस कर वाहनों में लाद दिया जाता है और बेदर्दी से उनकी हत्या कर उनकी खाल से जूते बनाए जाते हैं, कुत्तों और बिल्लियों को सड़कों पर बेघर छोड़ दिया जाता है।

SNDT में इंग्रिड ने अपनी बात के दौरान जानवरों की रक्षा करने में विशेष भूमिका निभा रही महिलाओं का उल्लेख किया, जानवरों की विभिन्न क्षमताओं और भावनात्मक जीवन पर चर्चा की, सभी प्रकार की प्रजातियों में महिलाओं के शोषण को उजागर किया तथा समस्त महिलाओं से अनुरोध किया कि समस्त मादा प्रजाति के उत्थान हेतु समाज को प्रेरित करने के हर संभव प्रयास करें क्यूंकि स्वतन्त्रता के मूलभूत अधिकार पर इन्सानों की तरह अन्य सभी प्रजाति के प्राणियों का भी हक है।

PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तहत काम करता है कि जानवर हमारे परीक्षण करने, भोजन बनने, वस्त्र बनने, मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने या किसी भी अन्य तरह से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं, हर किसी को गैर पशु प्रयुक्त सौंदर्य प्रसाधन खरीदने, वीगन भोजन करने, वीगन उत्पाद चुनने, हाथीसवारी व पशुओं के करतब दिखाने वाली सर्कस से दूर रहने तथा पशुओं का शोषण करने वाले समस्त आयोजनों में प्रतिभाग न करने का अनुरोध करता है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाएँ।

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