PETA इंडिया ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध किया है कि फ्रांस एवं जर्मनी में अपनायी गयी मानवीयता का अनुसरण करते हुए भारत में भी चूजों (मुर्गी के बच्चों) की गैरकानूनी हत्याओं पर रोक लगवाई जाए।
फ्रांस एवं जर्मनी में नर चूजों को ग्राईंडर में डालकर मार देने पर रोक लगने के बाद, PETA इंडिया ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है भारत में भी नर चूजों की दर्दनाक हत्याओं पर रोक लगाने हेतु ऐसी ही नीति लागू की जाए। खाद्य उद्योग में मुर्गियों को अस्वाभाविक तरीकों से विकसित किया जाता है ताकि वह अपने प्रकर्तिक तरीकों से कहीं अधिक संख्या में अंडे दे सकें। चूंकि नर चूजे अंडे नहीं दे सकते इसलिए उन अनचाहे चूजों को अवैध एवं क्रूर तरीकों से मौत के घाट उतार देना एक सामान्य बात है।
पत्र में PETA इंडिया ने मोदी जी से आग्रह किया है कि भारत में भी ओवो सेक्सिंग (ovo sexing) तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह तकनीक पूर्णतया विकसित होने के करीब है व उम्मीद है की इस वर्ष के अंत तक यह भारत में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हो जाएगी।
साथ ही PETA समूह, अनुरोध करता है कि, वह तुरंत केंद्र सरकार के निर्देशों को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी करें, जिसमें भारत में वर्तमान समय में अवांछित चूजों की अवैध और क्रूर तरीक़े से हो रही हत्याओं को बंद किया जा सके जैसे कुचलकर, पानी में डुबोकर या जलाकर मार डालना। यह क्रूर कृत्य “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” का उल्लंघन करते हैं। इस पत्र में यह भी आग्रह किया गया है की राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके राज्यों में चल रहे मुर्गी पालन केन्द्रों/ हैचरीज में अवांछित चूजों को मारने हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड तथा भारतीय लॉ कमीशन द्वारा अनुशंसित मानवीय तरीकों को अपनाये जाने की आवश्यकता है। इन तरीकों में अनचाहे चूजों को मारने के लिए नाइट्रोजन और निष्क्रिय गैसों का उपयोग किया जाना चाहिए। वर्ल्ड ऑर्गनाइझेशन फॉर एनिमल हेल्थ द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के अनुच्छेद 7.6.14 में भी अवांछित छूओजोन को मरने हेतु इसी तरीके को अपनाए जाने के सुझाव दिये गए हैं और भारत भी इसी संगठन का एक सदस्य देश है।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी “बेसिक एनिमल हसबैंडरी स्टैटिस्टिक्स” पर वर्ष 2019 में प्रकाशित की गयी रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में अंडों के उत्पादन के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है और यह इसीलिए भी अनिवार्य हो जाता है कि अंडा उद्योग PCA अधिनियम, 1960 के नियमों का पालन करे तथा आधुनिकीकरण अपनाएं।