जयपुर में हाथियों की दुर्दशा व उनके गैरकानूनी इस्तेमाल को जाँचने हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक विशेषज्ञों टीम के गठन का आदेश
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6 March 2020
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इस जांच दल में याचिकाकर्ता PETA इंडिया को भी एक सदस्य बनाए जाने की मंजूरी
नई दिल्ली- वाइल्डलाइफ रेसक्यू एंड रिहेबलिटेशन सेंटर द्वारा डाली गयी याचिका जिसमे PETA इंडिया भी एक पक्षकार है, पर सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के हाथीगांव एवं आमेर के किले पर इस्तेमाल हो रहे हाथियों के दशा जाँचने हेतु पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक विशेषज्ञ जांच दल गठित करने का आदेश जारी किया है । अदालत ने इस जांच दल में PETA इंडिया तथा एक अन्य पक्षकार गौरी मुलेखी को या उनके किसी प्रतिनिधि को इस जांच दल का सदस्य बनाए जाने की प्रार्थना को भी स्वीकार कर लिया है।
हाल ही में, PETA समूह ने राजस्थान के मुख्य मंत्री श्री अशोक गहलोत जी को पत्र भेजकर जयपुर में आमेर के किले एवं हाथीगाँव में चल रही हाथीसवारी पर रोक लगाने की मांग की थी क्यूंकि टीबी से ग्रस्त इन हाथियों के संपर्क में आने से पर्यटकों में टीबी संक्रमण हस्तांतरित होने का खतरा है। जयपुर में हो रही हाथीसवारी गैरकानूनी है क्यूंकि इस हेतु इस्तेमाल हो रहे हाथियों में से कोई भी हाथी भारत सरकार द्वारा गठित “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” के साथ पंजीकृत नहीं है।
PETA इंडिया के CEO एवं पशु चिकित्सक डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं:- ” भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” की रिपोर्ट यह खुलासा करती है कि जयपुर में हाथी सवारी हेतु इस्तेमाल हो रहे हाथी दृष्टिदोष व टीबी से संक्रमित होने के बावजूद उनसे दिन रात भारी भरकम बोझ उठवाया जा रहा है इसलिए इस क्रूर हाथीसवारी पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत करते हैं, इससे इन बीमार हाथियों की दशा सुधारने के प्रयास में तेज़ी आएगी तथा हाथियों एवं पर्यटकों के सुरक्षा हेतु कदम उठाए जा सकेंगे।“
‘सूचना का अधिकार अधिनिय 2005’ के माध्यम से मिली सूचना के अनुसार राजस्थान वन विभाग द्वारा इस्तेमाल की गयी टीबी परीक्षण किट उपयुक्त नहीं थी और ना ही इसे किसी सरकारी विभाग द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस किट के द्वारा की गयी टीबी जांच यह प्रमाणित नहीं कर सकती की वर्ष 2018 में “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” द्वारा करवाई गयी जांच में जो 10 हाथी संक्रमित पाये गए थे, इस नयी टीबी किट से की गयी जाँच में उन 10 में से 7 हाथी सही हो गए हैं। वर्ष 2018 में “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” द्वारा जयपुर में 134 हाथियों को टीबी जाँच हेतु चिन्हित किया गया था जिनमे से केवल 91 हाथियों की जाँच हो सकी और उनमें 10 टीबी संक्रमित पाये गए थे जबकि 43 हाथी (32%) की जांच ही नहीं हो सकी। एक अन्य RTI से मिली सूचना से यह पता चला कि जयपुर में हाथी सवारी में इस्तेमाल हो रहे हाथी “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” के साथ पंजीकृत नहीं है जो की “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, के तहत गठित “प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम 2001” का स्पष्ट उलंघन है तथा राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2010 में जारी की गयी उस अधिसूचना की अहवेलना है जिसमे कहा गया था की किसी भी जानवर को प्रदर्शन, जिसमे हाथीसवारी भी शामिल है, हेतु इस्तेमाल करने से पहले “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” की अनुमति लेना अनिवार्य है।
PETA इंडिया इस सरल सिद्धांत के तहत काम करता है की “जानवर किसी भी तरह से हमारा मनोरंजन करने या हमारा दुर्व्यवार सहने के लिए नहीं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने वाली सोच का परिचायक है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाइट PETAIndia.com पर जाएँ।
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