PETA इंडिया एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग ने, माँ की मौत से दुखी बंदर के अनाथ बच्चे को सहारा दिया
एक स्थानीय निवासी द्वारा की गयी फोन कॉल पर तत्काल कार्यवाही करते हुए PETA इंडिया ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बंदर के उस नन्हें बच्चे का रेसक्यू किया जो अपनी घायल पड़ी माँ के पास गुमसुम बैठा था। किसी कार से टकरा कर उसकी माँ बुरी तरह चोटिल हो गयी थी व घटना स्थल के पास बेसुध गिरि पड़ी थी। तत्काल चिकित्सीय देखभाल प्रदान करने के बाद भी वह बच नहीं सकी और उसकी मृत्यु हो गयी।
उत्तर प्रदेश वन विभाग की मदद से PETA इंडिया द्वारा बचाए गए नन्हें बंदर को चिकित्सीय मदद एवं उचित देखभाल के लिए आगरा स्थित एक प्रतिष्ठित वाइल्डलाइफ रेसक्यू सेंटर में भर्ती करवाया है जिसे पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद वापिस उसके प्रकर्तिक निवास यानि जंगल में छोड़ दिया जाएगा। भारत में ‘रिसस मकाक’ प्रजाति के बंदर “वन्यजीव संरक्षक कानून 1972” के शेड्यूल 2 के तहत संरक्षित प्रजाति के अंदर आते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण यह है की यह प्यारे एवं सामाजिक जानवर (बंदर) मदारी के कहने पर नाचने या प्रयोगशालाओं में उन पर क्रूर प्रयोग किए जाने की बजाय वापिस जंगल में अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ मिलकर रहें।
PETA इंडिया सभी से यह अनुरोध करता है की हमेशा सचेत रहें व जब भी किसी पशु पर क्रूरता होते देखें, उसे चिकित्सीय मदद की जरूरता हो, या कभी वन्यजीवों का अवैध व्यापार होते देखें तो तत्काल रूप से संबन्धित सरकारी विभाग को इसकी सूचना दें जैसे पुलिस या वन विभाग”।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन के लिए नहीं हैं”, यह संज्ञान लेता है कि अपने फायदे के लिए बंदरों का शोषण करना या पालतू पशु की रूप में उन्हें कैद करके रखना, सामान्यता गलत है व ऐसा करने वालों पर वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के तहत 10,000 रुपये जुर्माने तथा सात साल की सज़ा का प्रावधान है।
पशुओं के साथ क्रूरता होते देखें या पशु आपातकालीन स्थिति हो तो हमें तत्काल हमारे एमरजेंसी नंबर (0) 98201 22602 पर कॉल करके सूचित करें।