‘गोवा’ ने जीता ‘PETA इंडिया मोस्ट वीगन- फ्रेंडली राज्य पुरस्कार 2020’
नवंबर माह को ‘विश्व वीगन माह’ के रूप में मनाया जाता है और इस अवसर पर गोवा राज्य ने PETA इंडिया” का ‘मोस्ट वीगन– फ्रेंडली’ राज्य पुरस्कार 2020’ अपने नाम कर लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत को राज्य में ऐसा वातावरण बनाने के लिए धन्यवाद स्वरूप एक प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया, जिसमें वीगन प्रतिष्ठान पनप सकें और मनुष्यों और अन्य जानवरों के लिए इस दुनिया को बेहतर बनाया जा सके।
राज्य के शीर्ष वीगन भोजनालयों में से कुछ हैं: Bean Me Up, जो लकड़ी से बने पारंपरिक ओवन से पश्चिमी शैली के व्यंजन जैसे burritos, lasagne और यहां तक कि पिज्जा भी बनाता है; Shantaram Raw, जहां लोग खुली छत पर बैठ कर स्मूदी, जूस और बहुत से अन्य व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं; Cafe La Boheme, जहाँ ग्राहक वीगन बर्गर, टापास, क्रेप्स और सलाद का आनंद ले सकते हैं। इनके अतिरिक्त यहां और भी कई मशहूर वीगन भोजनालय हैं, जैसे, Gratitude Cafe, SoulBooster, Svasti, Bibhitaki Vegan Cafe and Restaurant, Vegan Casa, Bodhi Greens, Maya Organic, और Okapi Vegan Kitchen। No Nasties, वीगन फैशन का एक अच्छा विकल्प है जहां 100% क्रूरता-मुक्त वीगन कपड़े मिलते हैं। सामुदायिक वीगन भोजन सरीखे आयोजनों के लिए यहाँ The Vegoan है।
वीगन जीवनशैली अपनाने वाला प्रत्येक व्यक्ति हर साल लगभग 200 जानवरों को भयानक पीड़ा और दर्दनाक मौत से बचाने में योगदान करता है। आज के मांस, अंडे और डेयरी उद्योग में, जिंदा मुर्गों के गले काट दिये जाते हैं, मछलियाँ पानी से बाहर निकाल दिये जाने पर मछली पकड़ने वाली नौकाओं की डेक पर ही दम तोड़ देती हैं, सुअरों के सीने में चाकू घोंप दिया जाता है और वो दर्द से चीखते रहते हैं, और जन्म के तुरंत बाद ही बछड़ों को उनकी माताओं से दूर कर दिया जाता है। बूचड़खानों में अक्सर जानवरों को बाकी जानवरों के सामने ही मार दिया जाता है, और जिंदा रहते ही उनके शरीर के अंगों को काट काट कर अलग कर दिया जाता है।
मांसाहारियों की तुलना में वीगन लोगों को दिल की बीमारी, आघात, मधुमेह, कैंसर और मोटापा जैसी बीमारी का ख़तरा कम होता हैं। वीगन जीवनशैली कार्बन फुटप्रिंट कम करने में सहायक है क्यूंकि माँस के लिए होने वाला पशु पालन ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करने का मुख्य स्रोत है व जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण भी। वीगन जीवनशैली महामारियों को भी रोकने में मदद करती है, क्यूंकि कई ज़ूनोटिक रोग (ऐसी बीमारियां जो अन्य जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं) पशुओं के बाज़ार, तंग फ़ैक्टरी फ़ार्म, और बूचड़खानों से ही मनुष्यों में फ़ैलते हैं।
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