“मैं एक जीव हूँ माँस नहीं” नामक संदेश लिखे बिलबोर्ड के द्वारा जनता से वीगन बनने का अनुरोध
विश्व वीगन माह (नवंबर) के दौरान PETA इंडिया मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों के चित्रों वाले अनेकों बिलबोर्ड दिल्ली के अलग अलग हिस्सो में स्थापित किए है। इन बिलबोर्ड पर मुर्गे, बकरे, सूअर इत्यादि के चित्रों के साथ अँग्रेजी में संदेश लिखा है “I am ME, Not Mutton. See the Individual, Go vegan” जिसका हिन्दी अर्थ है “मैं भी एक जीव हूँ, मांस नहीं। कृपया मुझे जीवित प्राणी के रूप में देखिये। वीगन बनिए।” इन बिलबोर्ड को चित्रा एडवरटाईसमेंट के द्वारा डिजाइन किया गया है।
अरबिंदो मार्ग, दिल्ली
एक अनुमान के अनुसार भारत में महज़ भोजन के लिए प्रतिदिन दस लाख जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। PETA इंडिया ने मांस उद्योग में इस्तेमाल होने वाले जानवरों पर एक जांच कर “ग्लास वाल” के नाम से इस जांच की वीडियो फुटेज जारी की है जिसमे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों जैसे मुर्गों, बकरो इत्यादि के जिंदा रहते गले काट दिये जाते हैं। इन मुर्गों को गंदी एवं बदबूदार मुर्गी पालन केन्द्रों में इतने छोटे पिंजरों में रखा जाता है की वह सही से अपने पंख तक नहीं फैला पाते। उन्हें तेज़ी से मांसल शरीर प्राप्त करने के लिए दवाईयाँ खिलाई जाती है की जरूरत से अधिक भरी वजनी शरीर होने से वह अपने ही शरीर के चलते बेसुध हो जाते हैं। 6 सप्ताह की उम्र के होने पर उन्हें मरने के लिए बूचड़खानों में भेज दिया जाता है जहां तेज़ धारधार चाकू से उनके आधे गले रेंत कर उन्हें धीमी एवं दर्दनाक मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
पटपड़गंज रोड, दिल्ली
बकरियाँ बेहद चंचल एवं संवेदनशील जानवर होती हैं लेकिन मांस के लिए उन्हें दर्द भरे तरीको से हैंडल किया जाता है, उन्हें उनके मांस या कानो से पकड़ कर खींचते हुए बूचड़खाने के अंदर ले जाया जाता है व बाकी अन्य साथियों के सामने उनका गला काट कर उन्हे तड़फ तड़फ कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। बूचड़खानों तक ले जाने वाले वाहनों में इस तरह ठूस थोस्स कर भरा जाता है की दम घुटने के कारण बहुत से जानवर रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। बकरा ईद के दौरान अनेकों बकरों को अप्रशिक्षित कसाइयों के द्वारा सड़क के किनारो या मोहल्लों में मौत के घाट उतार दिया जाता है हालांकि इन जानवरों की कुर्बानी दिये बिना क्रूरता मुक्त ईद भी मनाई जा सकती है।
ओखला फ़ेस 3, NSIC ग्राउंड के पास, दिल्ली
अन्य सभी तरह के जानवरों के मुक़ाबले मछलियाँ ज्यादा तादात में मौत का शिकार होती हैं हालांकि उनके पास कानून की तरफ से सुरक्षा के अधिकार भी हैं। मछ्ली पकड़ने वाली नौकाओं पर, मछली पालन केन्द्रों पर वह अनेकों तरह के संक्रमण, बीमारियों एवं चोटों का शिकार होती हैं। बड़े बड़े जालो की सहायता से महासागरों से पकड़ी जाने वाली मछलियों को नौकाओं की डेक पर फेंक दिया जाता है जहां वो जिंदा रहने के लिए एक एक सांस के लिए संघर्ष करती नजर आती है और दम घुटने से ही मर जाती हैं। और इस दौरान जो जिंदा बच जाती हैं उन्हें सचेत अवस्था में होते हुए उनके गले एवं पेट काट दिये जाते हैं।
शाहदरा बाज़ार, दिल्ली
सुअर भी बेहद संवेदनशील एवं बुद्धिमान जानवर होते है जो कभी भी बुरी मौत मरने और माँस के लिए इस्तेमाल किए जाने के हकदार नहीं हैं। भारत में, उन्हें कैद में रखते हुए पाला जाता है और माँस के लिए उन्हें मारने एवं काटने से पहले बेहोश तक नहीं किया जाता। बूचड़खानो में उनके जिंदा रहते उनके गले काट दिये जाते है और इस दौरान अपने साथ होने वाली वहशियत को वह भली भांति महसूस कर रहे होते हैं।
आप इन प्यारे जानवरों की मदद करना चाहते हैं, कृपया वीगन जीवनशैली अपनाने का संकल्प लें-