PETA इंडिया और सनि लिओनि के साथ ‘लाईव चैट सेशन’ में आपका स्वागत हैं
चाहे वह बॉलीवुड की किसी पार्टी के लिए सज रही हों या फिर अपने गोद लिए कुत्ते के साथ खेल रही हो, सनि लिओनि हमेशा जानवरों के प्रति संवेदनशील दिखती है। बॉलीवुड की यह दिलकश अदाकारा अच्छी तरह जानती हैं कि जानवर की चमड़ी पहनना आपको आकर्षक नहीं बल्कि क्रूर दिखाता है। इसलिए अपने फैंस एवं फ़ैशन पसंद लोगों को जानवरों के प्रति संवेदनशीलता बरतने के लिए दिनांक 11 दिसम्बर को PETA इंडिया के इंस्टाग्राम एकाउंट पर विशेष लाईव चैट सेशन के द्वारा जानवरों, कपड़ों और क्रूरता- मुक्त सौंदर्य उत्पादों सहित अपने सौंदर्य उत्पादों के ब्रांड Star Struck के बारे में बातचीत करेंगी।
हर साल लाखों लोमड़ियों, ऊदबिलावों, खरगोशों और यहाँ तक कि कुत्ते एवं बिल्लियों की खाल से इन्सानों के लिए कोट, कॉलर, और कफ जैसे चमड़े के उत्पाद बनाने के लिए उन्हें मारा-पीटा जाता है, बिज़ली का करंट लगाए जाते है, और जिंदा रहते ही इन जानवरों की खाल को उनके शरीर से नोचकर अलग किया जाता हैं। छिपकलियों को कुल्हाड़ी से काटा जाता हैं, सांपों को मारा जाता हैं और घड़ियालों एवं मगरमच्छों को उनकी चमड़ी से बनने वाले उत्पादों के लिए लोहे की छड़ों को उनकी सिर में डालकर उन्हें मार दिया जाता है। भारत में चमड़े के लिए गायों और भैंसों को सचेत अवस्था में रहते हुए तेज़ धारदार हथियार से उनके आधे गले काट कर उन्हें धीमी एवं पीड़ादायी मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
लेकिन यह सब समाप्त करना होगा।
सनि लिओनि ने कहा- “हम ऐसी बेहतरीन दुनिया का हिस्सा हैं जहां सबके लिए वीगन उत्पादों के हज़ारों विकल्प मौजूद हैं। इसलिए जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता का समर्थन करने का कोई कारण नहीं है। सिंथेटिक लैदर, कृत्रिम फ़र और सरिस्रप की त्वचा जैसी दिखने वाली नकली चमड़े जैसे अनेकों बेहतरीन व दिलकश विकल्प बाज़ार में उपलब्ध हैं।”
दुनिया भर की 3,000 से ज़्यादा कंपनियों ने पशु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया है और उनकी जगह आधुनिक गैर-पशु परीक्षणों को चुना है जोकि बेहद प्रभावी हैं। PETA इंडिया द्वारा किए गए प्रयासों के बाद भारत में 2014 में सौंदर्य प्रसाधनों व उनके घटकों के परीक्षण के लिए जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही पशुओं पर परीक्षण कर तैयार होने वाले सौंदर्य प्रसाधनों के आयात पर भी रोक लगा दी गयी थी। हालांकि अपने उत्पादों का निर्यात चाईना में करने के लिए अब भी कुछ कंपनियों को पशु- परीक्षण करना पड़ता है। इस कारण कई ब्राण्ड्स अब भी परीक्षण के नाम पर खतरनाक पदार्थ जानवरों की आँखों में डालकर, उनकी त्वचा पर जबरन रगड़कर, उनके चेहरे पर स्प्रे करके, या उनके गले के अंदर डालकर, उनका क्रूरतापूर्ण शोषण करते हैं। मनुष्यों और जानवरों की शारीरिक संरचना में अत्यधिक अंतर होने के कारण अक्सर इन परीक्षणों के नतीजे भ्रामक होते हैं।
कृपया 11 दिसम्बर को दोपहर 2:30 बजे इंस्टाग्राम पर PETA इंडिया एवं सनी लिओनि के बीच होने वाली चर्चा में अवश्य भाग लें।
उन फ़ैशन कंपनियों की सूची ज़रूर देखें जो अपने वीगन उत्पादों पर “PETA-Approved Vegan” लोगो लगाती हैंऔर PETA US के “Beauty Without Bunnies” नाम के डेटाबेस में जाकर ऐसी इंडियन कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल करें जो पूर्ण रूप से क्रूरता- मुक्त उत्पाद बनाती हैं।