केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी ने आमेर के किले में हाथीसवारी की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल का सुझाव दिया
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 6 मार्च 2020 को जारी आदेश का अनुसरण करते हुए “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” द्वारा “हाथी डिवीजन परियोजना” के तहत गठित कमेटी ने अपनी नई निरीक्षण रिपोर्ट में PETA द्वारा की गई सिफारिशों को शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में हाथियों की बढ़ती उम्र एवं पर्यटकों की घटती रुचि के मद्देनज़र आमेर के किले में हाथी सवारी को बिजली या बैटरी से चलने वाले वाहनों से बदलने का सुझाव दिया गया है। इस कमेटी ने हाथियों में पाये गए दृष्ठि रोग का संज्ञान लेते हुए हाथियों को सवारी के लिए इस्तेमाल न करने और नए हाथियों को इस कार्य में ना लाने की भी सिफ़ारिश की है।
वर्ष 2020 के हमारे सर्वश्रेष्ठ ट्वीटों में से एक ट्वीट यह था ?
Join us in putting an end to the abuse of elephants used for rides in Jaipur. https://t.co/lzvHWmUht0
— PETA India (@PetaIndia) December 29, 2020
जयपुर के आमेर के किले एवं हाथी गाँव में हाथियों के साथ की जाने वाली क्रूरता और सवारी हेतु उनके अवैध उपयोग के संदर्भ में “वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र” द्वारा दर्ज़ की गई याचिका के बाद न्यायलय द्वारा एक अलग कमेटी के गठन का आदेश दिया गया था। PETA इंडिया भी इस याचिका का एक सदस्य था। न्यायलाय ने PETA इंडिया द्वारा कमेटी में अपने एक प्रतिनिधि को शामिल करने हेतु किए गए अनुरोध को भी स्वीकार किया था।
कमेटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है की निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्ठि रोग से ग्रसित थे और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। राजस्थान वन विभाग ने एक दावा किया था कि राज्य में कोई भी हाथी टीबी का मरीज़ नहीं है जबकि कमेटी द्वारा जिन तीन हाथियों की जांच की गयी वह तीनों टीबी से ग्रसित पाए गए, वही वर्ष 2018 में भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जाँचे गए तीन हाथी भी टीबी की बीमारी से ग्रसित थे। टीबी एक ख़तरनाक बीमारी है जो हाथियों से मनुष्यों में भी फैल सकती है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सभी हाथियों और महावतो की साल में दो बार टीबी की जांच ज़रूर होनी चाहिए।
भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने जयपुर के क़ैदी हाथियों से संबन्धित जांच रिपोर्ट में कहा था कि वहाँ हाथियों के रखरखाव के संदर्भ में वनजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के कई नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। जांच के दौरान बहुत से हाथियों में बेवजह अपना सिर गोल गोल घुमाने जैसे असाधारण व्यवहार को देखा गया था जो कई ख़तरनाक मानसिक उत्पीड़न का लक्षण है और इन्हें अवैध रूप से 200 किलो से ज़्यादा का भार ज़बरन ढ़ोने हेतु मज़बूर किया जाता है।
तुरंत क्रूर हाथी सवारियों का अंत करें !