PETA इंडिया और “Desmania Design” ने आमेर के किले में हाथीसवारी की जगह “शाही इलेक्ट्रिक गाड़ी” इस्तेमाल करने का सुजाव दिया
“पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” द्वारा “हाथी डिवीजन परियोजना” के तहत गठित कमेटी की निरीक्षण रिपोर्ट में हाथीसवारी की जगह बिजली से चलने वाले वाहनों को इस्तेमाल करने का सुझाव आने के तुरंत बाद पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया ने “Desmania Design” नाम की अग्रणी डिज़ाइन कंपनी के साथ मिलकर एक “आधुनिक इलैक्ट्रिक गाड़ी” का सुझाव दिया।
28 जनवरी को राजस्थान के मुख्य सचिव श्री निरंजन कुमार आर्य जी के साथ हुई एक औपचारिक भेंट में यह सुझाव उनके सामने प्रस्तुत किया गया। PETA इंडिया और “Desmania Design” ने इस शाही सवारी जैसे “आधुनिक इलैक्ट्रिक गाड़ी” के अनूठे डिज़ाइन का नाम “महाराजा” (नीचे फ़ोटो दिया गया है) प्रस्तावित किया है। इस गाड़ी से एक बार में चार पर्यटकों को ले जाया जा सकता है और यह आमेर के किले की चढ़ाई करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
PETA इंडिया के प्रतिनिधियों द्वारा मंत्रालय को एक फ़ैक्टशीट भी प्रस्तुत की गई जिसमें आमेर के किले में हाथियों के साथ हुए दुर्व्यवहार के परिणामस्वरूप हाथियों के बिगड़ जाने की ऐसी 10 खतरनाक घटनाओं को उजागर किया गया है जिसमे स्वयं हाथियों या इन्सानों को गंभीर चोटें आयी हैं, मौत हुई है या फिर सामाजिक संपत्ति को नुक्सान पहुंचा है। इन घटनाओं का हवाला देकर आदरणीय मुख्य सचिव जी से पर्यटकों की सुरक्षा हेतु सही कदम उठाने का आग्रह किया गया।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 6 मार्च 2020 को जारी आदेश का अनुसरण करते हुए केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी ने अपनी नई निरीक्षण रिपोर्ट में PETA द्वारा की गई सिफारिशों को शामिल करते हुए हाथियों की बढ़ती उम्र एवं पर्यटकों की घटती रुचि के मद्देनज़र हाथी सवारी को समाप्त करने का सुझाव दिया था। हाथियों में पाये गए दृष्ठि रोग का संज्ञान लेते हुए कमेटी ने हाथियों को सवारी के लिए इस्तेमाल न करने और नए हाथियों को इस कार्य में ना लाने की भी सिफ़ारिश की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्ठि रोग से ग्रसित थे और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। इनमें से तीन हाथियों को टीबी की बीमारी थी जो एक जानलेवा बीमारी है और हाथियों से मनुष्यों में भी फैल सकती है।
PETA इंडिया उच्चतम न्यायलय में क़ैदी हाथियों से संबंधित मामले में एक याचिकाकर्ता है। समूह द्वारा जयपुर के पास आमेर के किले और “हाथीगाँव” में हाथियों के साथ होने वाली क्रूरता एवं हाथीसवारी हेतु अवैध प्रयोग के संदर्भ में की गयी शिकायतों के बाद कोर्ट ने इस मामले में एक कमेठी गठित करने का आदेश दिया था।
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