PETA इंडिया की कोर्ट याचिका के बाद भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने एक बार फिर केंद्र सरकार को जानवरों के सर्कसों पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत गठित भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) नामक सांविधिक निकाय ने दूसरी बार केंद्र सरकार को सर्कसों में जानवरों के प्रयोग को प्रतिबंधित करने हेतु विशेष कानून पारित करने का सुझाव दिया है। PETA इंडिया द्वारा इस संदर्भ में एक जनहित याचिका दर्ज़ की गई थी जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड को विभिन्न निरीक्षण करने का आदेश दिया और इन्हीं निरीक्षणों के आधार पर बोर्ड ने यह महत्वपूर्ण सुझाव पुनः प्रस्तावित किया है।
अपने दिशानिर्देशों में AWBI ने सरकार को यह भी सूचित किया कि बोर्ड ने पाँच सर्कसों के पशु प्रदर्शनी पंजीकरणों को ख़ारिज कर दिया है और संबन्धित राज्य सरकारों को इन जानवरों के बचाव और पुनर्वास का आदेश दिया है। इसके साथ ही, बोर्ड ने तीन सर्कसों को जानवरों के साथ शोषणपूर्ण व्यवहार करने हेतु ‘कारण बताओ’ नोटिस ज़ारी किया है और आठ सर्कसों को व्यापार बंद करने के उपरांत उसके दस्तावेज़ जमा करने तथा सर्कस में इतेमाल हो रहे जानवर कहाँ है उनसे संबन्धित तथ्यपूर्ण दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। AWBI के पास 27 सर्कस पंजीकृत थे, लेकिन वर्तमान में केवल 6 सर्कस वैध रूप से कार्यात्मक हैं। PETA इंडिया द्वारा अब कानूनी कार्यवाही की मांग की गई है।
PETA इंडिया द्वारा दर्ज़ कराए गए आवेदन के आधार पर, AWBI ने दिल्ली उच्च न्यायलाय को सूचित किया कि इन 6 सर्कसों के खिलाफ़ भी कार्यवाही ज़ारी है। हमने उल्लेखित किया कि “ग्रेट बॉम्बे सर्कस” और “अजंता सर्कस” नामक केवल दो सर्कसों को ‘कारण बताओ‘ नोटिस ज़ारी किया गया है जबकि “रेमबो सर्कस”, “जम्बो सर्कस”, “ग्रेट इंडियन सर्कस”, और “एंपायर सर्कस”, नामक सभी सर्कसों में ऐसे जानवरों का प्रयोग किया जा रहा हैं जिनकी अनुमति AWAI द्वारा ज़ारी किए गए “प्रदर्शनकारी पशु पंजीकरण प्रमाण-पत्र” (PARC) में नहीं दी गई है।
‘केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण’ ने हाल ही में “द ग्रेट गोल्डन सर्कस” के पंजीकरण को रद्द कर दिया जो भारत में हाथियों का प्रदर्शन करने वाला अंतिम सर्कस था और ‘केंद्री चिड़ियाघर प्राधिकरण’ की जानकारी के अनुसार इसमें प्रयोग होने वाले दोनों हाथी वर्तमान में गुजरात के एक मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर में संरक्षित हैं।
AWBI द्वारा हाल ही में किए गए निरीक्षणों में सामने आया कि बहुत से सर्कसों को लंबे समय पहले बंद कर दिया गया था लेकिन उनमें प्रयोग होने वाले जानवरों की जानकारी गायब है या मालिकों द्वारा छुपाई जा रही है जो कि प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) अधिनियम, 2001 के अंतर्गत पूरी तरह से गैरकानूनी है। PETA इंडिया द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया कि पंजीकृत जानवरों के जिंदा होने की स्थिति में अब वह शारीरिक रूप से काम एवं परिश्रम करने योग्य नहीं होंगे। हमने बताया कि वर्तमान में सर्कसों में प्रयोग होने वाले जानवरों की संख्या PARC के रेकॉर्ड से मेल नहीं खाती। इनमें से कुछ जानवर लापता हैं और कुछ जानवरों की संख्या रेकॉर्ड से कई अधिक है।
न्यायालय ने AWAI और CZA को PETA इंडिया के आवेदन पर तीन हफ्तों के भीतर विस्तृत स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख़ 25 फरवरी तय की गई है।
आप सर्कस में जानवरों के प्रयोग पर रोक लगवाने में सहायता कर सकते हैं। यहाँ कार्यवाही करें:
भारत में सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने हेतु सहायता करें