PETA इंडिया ने बर्ड फ़्लू का हवाला देते हुए एक बार फिर फास्ट-फ़ूड बिक्री की डिगज्ज कंपनियों को वीगन विकल्प अपनाने का आह्वान किया
भारत में बर्ड फ्लू संकट और COVID-19 महामारी के चलते बड़ी संख्या में लोग पशु-मुक्त खाद्य पदार्थों का चुनाव कर रहे हैं, इसलिए पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने McDonald’s, KFC, और Burger King इंडिया को पत्र भेजकर आह्वान किया है कि वह अन्य देशों की तरह भारत में भी अपने मेन्यू में वीगन खाद्य पदार्थों के विकल्प शामिल करें।
यह पत्र ‘Beyond Meat’ कंपनी के KFC की मूल कंपनी, Yum! ब्रांड, और McDonald’s कार्पोरेशन के साथ किए गए वैश्विक साझेदारी समझौता के बाद भेझे गए। इस साझेदारी में वीगन खाद्य विकल्पों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखकर विशेष रूप से इन कंपनियों हेतु पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले तत्वों से निर्मित मांस एवं अंडा विकल्पों को खोजने का समझौता किया गया है। यह सुप्रसिद्ध पेड़-पौधों पर आधारित मांस उत्पादक कंपनी भारत में भी कथित तौर पर अपने उद्योग की शुरुआत करने जा रही है। इसके लिए विशेष तौर पर UAE की एक कंपनी एवं IFFCO (भारतीय कंपनी Allana की सहायक कंपनी) के साथ साझेदारी भी की गयी है।
PETA इंडिया ने अपने पत्र में बाजार अनुसंधान कंपनी IPSOS के बर्ड फ्लू संकट और महामारी से पहले, वर्ष 2019 में किए गए एक शोध का हवाला दिया जिसमें यह तथ्य सामने आया था कि 63% भारतीय वीगन मीट (पेड़-पौधे से प्राप्त होने वाले तत्वों से बनें मीट) खाने के इच्छुक थे। हाल ही में लगभग 3,500 दिल्ली-NCR निवासियों पर किए गए एक सर्वेक्षण में 61.68% लोगों ने माना कि उन्होंने बर्ड फ्लू के डर से मुर्गे का मांस या अंडों का सेवन बंद कर दिया है।
ऐसी धारणा है कि बर्ड फ़्लू, स्वाइन फ़्लू, इबोला, HIV सहित कई ज़ूनोटिक रोग जानवरों से मनुष्यों में जिंदा जानवरों की मंडियों, फ़ैक्टरी फार्मों, बूचड़खानों, या मांस उत्पादन से संबंधित अन्य स्थानों से फैले हैं। SARS की तरह COVID-19 की शुरुआत और इसका मनुष्यों में फैलाव भी चीनी मांस मंडी से माना जाता है। इसी तरह H5N1 की पहली लहर (जिसके अंतर्गत इस ख़तरनाक रोग से ग्रसित 60 प्रतिशत रोगियों की मौत हो गयी थी) का संक्रमण भी हांगकांग स्थित मुर्गी फार्मों या जिंदा-जानवरों की मंडियों में पाए जाने वाले ख़तरनाक संक्रमण से मेल खाता था।
PETA इंडिया इस महत्वपूर्ण तथ्य पर ज़ोर देता है कि वीगन जीवनशैली अपनाने वाले लोग न केवल संक्रामक रोगों के फैलाव को रोकते हैं बल्कि स्वयं के लिए हृदय रोग, मधुमेह एवं कैंसर के ख़तरे को भी कम करते हैं और कई संवेदनशील जानवरों को गंदे एवं खूनी बूचड़खानों में क्रूरता पूर्वक ढंग से मौत के घाट उतरने से भी रोकते हैं।
समूह द्वारा फास्ट-फ़ूड की डिगज्ज कंपनियों को लिखा गया पत्र अनुरोध करने पर उपलब्ध कराया जाएगा।