बकरीद से ठीक पहले PETA इंडिया की प्रधानमंत्री से अपील : “कानून में बदलाव कर जानवरों की कुर्बानी बंद करें”

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1  July 2021

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PETA समूह ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में से जानवरों की कुर्बानी की अनुमति देने वाली धारा 28 को हटाने का अनुरोध किया है

नयी दिल्ली – इसी माह 20 एवं 21 जुलाई को बकरीद का त्यौहार है और इस दौरान देश में हजारों की तादात में बकरों, भेड़ों व अन्य जानवरों को कुर्बान किया जाएगा, इसी के मद्देनजर ‘पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स, इंडिया (PETA इंडिया) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, (Prevention of Cruelty to Animals Act)1960 की धारा 28 को हटाये जाने का अनुरोध किया है। अधिनियम की यह धारा धर्म के आधार पर किसी भी तरह से जानवरों की बलि/कुर्बानी देने की अनुमति प्रदान करती है। वर्तमान में केंद्र सरकार इस अधिनियम में कुछ बदलाव कर रही है और इसी संबंध में PETA इंडिया ने अप्रेल माह में ‘भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड’ को अपनी सिफ़ारिशे भेजी थी जिसमे जानवरों की बलि/कुर्बानी पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया गया था। PETA इंडिया द्वारा प्रधानमंत्री जी को भेजा गया पत्र मांगे जाने पर उपलब्ध करवाया जाएगा।

PETA इंडिया का कहना है धारा 28 का प्रावधान ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’ के मूल उद्देश्य के खिलाफ है, क्योंकि यह जानवरों के “अनावश्यक” दर्द और पीड़ा का कारण बनता है और वर्तमान के आधुनिक समाज में इस तरह की पुरानी परम्परा का कोई औचित्य भी नही है। PETA ने आगे कहा है कि जिन राज्यों ने पहले ही पशु बलि पर प्रतिबंध लगा दिया है, वह यह दर्शाता है कि देश भर में इसी तरह के निषेध को लागू करने की दिशा में प्रगतिशील कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

PETA इंडिया के CEO डॉ. मणिलाल वलियते कहते हैं- “आज के दौर में जब हम अन्तरिक्ष में जाने जैसे आधुनिक मिशन पर काम कर रहे हैं, मानव बलि को हम हत्या के श्रेणी में रख चुके हैं ऐसे में जानवरों की बलि देना एक पुरानी परम्परा है और इसे क्रूर परंपरा की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। हम प्रधानमंत्री श्री मोदी जी से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वह देश में दी जाने वाली पशु बलि/कुर्बानी को समाप्त करें। बहुत से लोग इस अवसर पर जानवरों की हत्या करने की बजाए गरीबों में पैसे, कपड़े और मिठाई बांटकर त्यौहार मानते हैं।“

PETA इंडिया ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों सहित ‘भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड’ को दुबारा पत्र भेजकर बकरीद के दौरान जानवरों के अवैध परिवहन एवं गैरकानूनी हत्याओं को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने का अनुरोध किया है।

देश भर में दी जाने वाली पशु बलि/कुर्बानी में जानवरों की अनेकों प्रजातियों जैसे बकरों, भेड़ों, भैंसो, मुर्गों, हिरणों, लोमड़ियों, उल्लुओं व अन्य जानवरों को बड़ी बेदर्दी से उनकी गर्दन काट कर, उनका सिर धड़ से अलग करके, गर्दन मरोड़ कर, नुकीले हथियार मारकर, पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया जाता है और होश में होने के बावजूद उनके गले काट दिये जाते हैं। भले ही ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’ (PCA Act) की धारा 28 पशु बलि दिये जाने की छूट देती है, लेकिन ऐसी प्रथाएं ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के उन प्रावधानों के खिलाफ है जो स्वदेशी जंगली प्रजातियों को पकड़ने और उनका शिकार करने से बचाने के लिए बनाये गए हैं।

गुजरात, केरल, पुडुचेरी एवं राजस्थान राज्यों में पहले से ही ऐसे कानून हैं जो मंदिरों अथवा धार्मिक स्थलों पर किसी जानवर की बलि की अनुमति नहीं देते। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य भी किसी धार्मिक पूजन के सार्वजनिक स्थान, धार्मिक परिसर या धार्मिक आयोजन के दौरान सार्वजनिक स्थानों या सड़क के किनारे पशु बलि की इजाजत नहीं देते।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नही हैं, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।

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