PETA इंडिया ने ‘चमड़ा निर्यात परिषद’ से वीगन चमड़ा उद्योग पर पकड़ बनाने और मवेशियों की हत्या बंद करने का अनुरोध किया

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12 July 2021

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मुंबई- पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आधीन चमड़ा निर्यात परिषद के अध्यक्ष श्री संजय लीखा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह अपने सदस्यों को चमड़ा उत्पादों के लिए गायों और भैसों की हत्या बंद करने की सलाह दें। PETA इंडिया के अनुसार, यह निर्णय ग्राहकों की बदलती मांग और वीगन चमड़े के उत्पादों की ओर बढ़ते आकर्षण के मद्देनजर वीगन के नए नए उत्पाद बनाने के के नए अवसर विकसित करके किया जा सकता है। वर्तमान में, वीगन चमड़े का निर्माण विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों जैसे केले, अंगूर, सेब, अनानास और नारियल से किया जाता है जो पहले से ही भारत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसका उत्पादन मंदिर से निकलने वाले भगवान को चढ़ाये हुए पुराने फूलों से भी किया जा सकता है।

वर्तमान में, बहुत सी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा वीगन चमड़े का प्रयोग किया जा रहा है जैसे Gucci के सहयोग से Demetra द्वारा लकड़ी की लुगदी से वीगन चमड़ा तैयार किया जा रहा है तथा Hermès द्वारा MycoWorks के साथ मिलकर मशरूम से बनाया गया Sylvania नामक वीगन चमड़े का उत्पादन किया जा रहा है। PETA इंडिया देश के उत्पादकों और किसानों को देशी और विदेशी बाज़ार में मज़बूत स्तर पर लाने का और उन्हें नए एवं बेहतर अवसरों की पहचान कराकर पशु उत्पादित कपड़ों, भोजन और अन्य पदार्थों के उत्पादन करने की बजाय वीगन उत्पादों के निर्माण हेतु प्रोत्साहित कर रहा है।

PETA इंडिया के CEO डॉ. मणिलाल वलियाते ने कहा, “वीगन चमड़ा उद्योग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है और हम सभी भारतीय उत्पादकों को इस अवसर से अवगत कराना चाहते हैं। बाज़ार से संबंधित विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि वर्तमान में जानवर और पर्यावरण हितैशी एवं पेड़-पौधों पर आधारित विकल्पों की मांग में हर दिन बढ़ौत्तरी हो रही है। चमड़ा निर्यात परिषद को भी पशु मुक्त एवं पेड़-पौधों से मिलने वाली सामग्री से चमड़े का उत्पादन करना चाहिए जिससे किसानों को सशक्त करने के साथ-साथ जानवरों की जान बचाई जा सके और मानव व पर्यावरण स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।“

अपने पत्र में PETA इंडिया ने बताया कि वीगन चमड़े की मांग लगातार बढ़ रही है। Infinium Global Research के अनुसार, वर्ष 2025 तक वीगन चमड़ा उद्योग लगभग US$90 बिलियन तक पहुंच जाएगा। PETA इंडिया द्वारा इस अवसर को भुनाने के कई कारण भी दिए गए हैं जैसे चमड़ा उत्पादन से निकलने वाले गंदे रसायनिक को गंगा नदी में बहा दिये जाने से इन्सानों के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है, उपजाऊ जमीने बंजर हो जाते हैंऔर कर्मचारियों के अधिकारों का भी हनन भी होता है साथ ही साथ चमड़ा उत्पादन में प्रयोग होने वाले ज़हरीले रसायनों से कर्मचारियों को त्वचा रोग, सांस लेने संबंधी बीमारियों और विभिन्न प्रकार के कैंसर का बड़ा ख़तरा है।

PETA इंडिया ने CLE  के अधिकारियों के साथ बाज़ारों, परिवहन रास्तों और बूचड़खानों में किए गए अपने दौरों में पाया कि भारतीय बूचड़खानों की स्थिति बहुत ही भयावह है। परिवहन हेतु मवेशियों को गाड़ियों में इस तरह से ठूस ठूसकर भरा जाता है कि रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं और फिर उन्हें बेहद क्रूर ढंग से घसीट कर गाड़ियों से नीचे उतारा जाता है। वीडियो फुटेज में देखा गया कि बूचड़खानों में जानवरों को बिना बेहोश किए कर्मचारियों द्वारा खुले में अन्य साथी जानवरों के सामने ही पशु का गला काट दिया जाता है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे वस्त्र बनने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट  PETAIndia.com पर जाएँ और हमें TwitterFacebook या Instagram पर फॉलो करें।

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