आमेर किले में सवारी के लिए हाथियों को प्रताड़ित करना सभी के लिए ख़तरनाक है

Posted on by PETA

हाथी की सवारी और ऐसी अन्य सभी गतिविधियाँ जिनमें इंसानों और हाथियों का सीधा संपर्क शामिल है, एक ऐसे उद्योग से जुड़ी हैं जिसके कारण जानवरों का क्रूर प्रशिक्षण किया जाता है और उन्हें बर्बर रूप से पीटा जाता है एवं पर्यटकों के आकर्षण के रूप में उपयोग नहीं किए जाने पर भी उन्हें जंजीर से बांधकर रखा जाता है। यह सभी गतिविधियां हाथियों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी हानिकारक हैं क्योंकि कैदी हाथी अपनी हताशा के चलते न केवल इंसानों पर हमला करते हैं बल्कि इनसे शारीरिक संपर्क के चलते इंसानों में टीबी जैसी ख़तरनाक बीमारी भी फैल सकती है।

हाथी जैसे जंगली जानवरों को प्रताड़ित और शोषित करके, इंसानों को सवारी देने हेतु बाध्य करना बहुत ख़तरनाक है। नीचे ऐसी दस घटनाएँ दी गयी हैं जिनसे यह साफ-साफ प्रदर्शित होता है कि आमेर किले में हाथी की सवारी पर प्रतिबंध लगाने की बेहद आवश्यकता है:

 

  1. वर्ष 1999 में, सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हाथी ने आमेर किले के पास झील में प्रवेश किए जाने से रोकने की कोशिश करने पर एक महावत को रौंद कर मार डाला।
  1. वर्ष 2003 में, जब एक युवा टूरिस्ट गाइड ने सवारी करते हुए हाथी को ऊपर से संभालने की कोशिश करी तो हाथी ने गुस्से में आकर इस युवक को अपनी सूंड से नीचे खींच लिया और कुचल कर मार डाला।
  1. “राजस्थान के पर्यटन विभाग” ने वर्ष 2005 में एक हाथी द्वारा कैमरे के फ्लैश से परेशान होकर एक पर्यटक गाइड को कुचलकर मार डालने के बाद हाथी की सवारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  2. वर्ष 2009 में पर्यटकों को सवारी करा रही एक 25 वर्षीय हथनी अपने सामान्य मार्ग से भटक गई और पहाड़ियों में भाग गई। महावत और वन विभाग के अधिकारियों ने अगले दिन उसे फिर से पकड़ लिया, लेकिन जब वे इसे वापस लाए तो यह रहस्यमय तरीके से मर चुकी थी। कुछ लोगों ने इसकी मौत के लिए इसे अधिक मात्रा में दिए गए tranquilisers को दोषी ठहराया।
  3. इसी वर्ष, एक हाथी इतना व्यथित हो गया कि उसने अपने महावत और सवारी को नीचे धकेल दिया। उसे नियंत्रित करने की कोशिश करने वाले दो महावतों के सिर में गंभीर चोटें आईं, और हाथी ने भागने की कोशिश करते हुए एक इमारत को क्षतिग्रस्त कर दिया। लेकिन उसे पकड़कर शांत कर दिया गया और फिर से जंजीरों से बांध दिया गया।
  1. वर्ष 2010 में, एक 45 वर्षीय लकवा से पीड़ित हथनी को पर्यटकों को ऊपर ले जाने के लिए मजबूर किया जा रहा था जिसके चलते गिरकर उसकी मृत्यु हो गई।
  1. दो दक्षिण कोरियाई पर्यटक जिस हाथी की सवारी कर रहे थे, उससे छलांग लगाने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गए क्योंकि एक और हाथी ने उससे लड़ना शुरू कर दिया। इसके कारण महिला पर्यटक को सिर पर गंभीर चोट लगी और हाथी के नीचे फंसने के कारण उसके पति का पैर टूट गया।
  2. वर्ष 2014 में, कड़ी धूप में जंजीरों से जकड़े एक हाथी ने परेशान होकर अपनी सूंड का इस्तेमाल करके एक महावत को अपनी पीठ से जमीन पर फेंक दिया। फिर यह हाथी बेहद आक्रामकता के साथ एक दीवार के अंदर जा घुसा और एक महावत के ऊपर गिरकर उसे मौत के घाट उतार दिया। इसी तरह की कई घटनाओं के बाद नर हाथियों द्वारा पर्यटकों की सवारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  3. वर्ष 2017 में, भूख के कारण केला लेने वाली और इसी कारण एक और हाथी पर हमला करने वाली हथनी को कई महावतों द्वारा 10 मिनट तक बेरहमी से पीटा गया, जिसे अमेरिकी पर्यटकों ने कैमरे में कैद किया।
  4. वर्ष 2019 में, तब दहशत और अराजकता फैल गई जब वही हथनी, जिसके हमले को फिल्माया गया था, दूसरे हाथी से लड़ने लगी, जबकि दोनों की पीठ पर अभी भी पर्यटक बंधे हुए था।

“प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन” और “भारतीय जीव-जन्तु बोर्ड” नामक केंद्र सरकार के दो निकायों द्वारा किए गए निरीक्षणों के अनुसार, जयपुर के आमेर के किले में सवारी कराने के लिए मजबूर किए जाने वाले हाथियों में टीबी का प्रसार बहुत आम है जो जानवरों से मनुष्यों में भी प्रसारित हो सकता है। टीबी जैसी बीमारी होने के बावजूद, हाथियों को सवारी देने के लिए प्रयोग किया जाता है जो पर्यटकों के लिए बेहद ख़तरनाक है। स्वस्थ हाथियों को भी मनुष्यों से टीबी होने का खतरा होता है जिससे यह बीमारी और भी फैल सकती है।

हाथियों जैसे जंगली जानवरों को कैद में रखना और मनोरंजन के लिए उन्हें प्रताड़ित करना खतरनाक है क्योंकि इस तरह की प्रथाएं जानवरों और मनुष्यों दोनों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता करती हैं। हाथियों और इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कृपया आमेर के किले में हाथी की सवारी पर रोक लगाने में PETA इंडिया की सहायता करें!