PETA इंडिया के दबाव के बाद, कोटा पुलिस ने मादा कुत्ते के साथ बलात्कार करने वाले अभियुक्त के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कर उसे गिरफ़्तार किया
PETA इंडिया से मिली मदद से एक स्थानीय जागरूक नागरिक द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद, कोटा पुलिस ने एक आदमी के खिलाफ़ कथित तौर पर एक मादा कुत्ते के साथ बलात्कार के घिनौने जुल्म में FIR दर्ज की है। इस FIR के लिए PETA इंडिया ने कोटा के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस और कुनाडी के पुलिस स्टेशन हाउस ऑफिसर के साथ चर्चा कर इस कार्य को अंजाम तक पहुंचवाया। यह FIR पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत दर्ज़ कराई गई है। इन धाराओं के तहत मनुष्य द्वारा जानवर का बलात्कार करना अपराध है और इसके लिए आजीवन कैद का प्रावधान है। कोटा पुलिस ने संबंधित अभियुक्त को गिरफ़्तार कर लिया है।
PETA इंडिया ने केंद्रीय सरकार से “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” में संशोधन करके पशु बलात्कार को संज्ञेय अपराध (जिसके अंतर्गत गिरफ़्तारी हेतु पुलिस को किसी वारंट की आवश्यकता नहीं होती) में रखने और पशु क्रूरता के खिलाफ़ मजबूत दंड प्रावधान बनाने का आग्रह किया है। भारतीय दंड संहिता के तहत पहले से ही कठोर दंड के प्रावधान हैं जबकि वर्तमान में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA) के अंतर्गत पशुओं के प्रति क्रूरता के खिलाफ़ महज़ पचास रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। हाल में मनुष्यों द्वारा जानवरों के साथ किए गए यौन शोषण के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत कठोर दंड प्रावधान की आवश्यकता दर्शाते हैं जिससे संभावित अपराधियों को सबक सिखाया जा सके। उदहारण के लिए, पश्चिम बंगाल में एक आदमी को बेघर कुत्ते को अपने घर के अंदर घसीटकर ले जाने और उसके साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मुंबई में एक सुरक्षा गार्ड नियमित रूप से वॉशरूम में एक मादा कुत्ते का बलात्कार करता था, केरल पुलिस को एक हत्या के मामले में पकड़े गए व्यक्ति की एक वीडियो मिली जिसमे उसे बकरी का यौन उत्पीड़न करते हुए पाया गया और केरल में ही एक बढ़ई को कुत्ते का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मध्य प्रदेश में, 25 और 50 साल के दो आदमियों को गाय के बछड़े के साथ बलात्कार करने के दो अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया और दिल्ली में एक 18 वर्षीय युवक पर बछड़े के साथ यौन शोषण करने का आरोप लगा।
पशुओं के खिलाफ़ इस प्रकार की क्रूरता एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करती है। मनोविज्ञान और अपराध विज्ञान में शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। घरेलू हिंसा पीड़ितों पर किए गए एक अध्ययन में 60% महिलाओं ने माना कि उनके अत्याचारी पार्टनरों ने उनके कुत्तों या अन्य जानवरों को भी नुकसान पहुंचाया या उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
कमज़ोर दंड प्रावधानों के कारण कष्ट झेल रहे पशुओं की सहायता करें