PETA इंडिया द्वारा हाल ही में पूर्वोत्तर भारत अरुंचल प्रदेश में सेप्पा व इटानगर, मणिपुर के नूट बाज़ार व सेनापति बाज़ार, कोहिमा बाज़ार, दीमापुर सुपर मार्केट व नागालैंड में चल रहे जंगली जानवरों के मांस उद्धोग एवं कुत्ते के मांस के वैध बाज़ारों का खुलासा किया है। इस वीडियो डोकोमेंट्री में उन घिनौनी परिस्थितियों का खुलासा किया गया जो खतरनाक बीमारियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972”, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” और “खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006” का खुला उल्लंघन करते हैं। ये बाजार जूनोटिक रोगों के खिलाफ हमारी लड़ाई में इन राज्यों, देश और दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
जंगली सूअर, हिरण, मेंढक, कुत्ते और अन्य जानवरों का मांस अवैध रूप से बेचा जाता है
मणिपुर के नट बाजार में, हिरण, जंगली सूअर और मेंढकों का मांस अवैध रूप से बेचा जा रहा था और खरीदार एवं ग्राहक अपने नंगे हाथों से जानवरों के भुने हुए अंगों को छू रहे थे।
सेनापति बाजार में अवैध रूप से शिकार किए गए एक हिरण के सिर को 700 से 800 रुपये में बेचा जा रहा था।
कोहिमा के बाजारों में, कुत्ते का मांस, प्लास्टिक के बैग में मेंढक, पिंजरों में बंद कबूतर, बटेर व बतख़ें राखी गयी थी जिन्हें मांस के लिए बेचा जा रहा था और विक्रेता इनके मांस को नंगे हाथों से छू रहे थे।
दीमापुर सुपर मार्केट और न्यू मार्केट में, कंजगाह पर ईल को ठूस ठूस कर रखा गया था, प्लास्टिक की थैलियों में सांस के लिए हांफते मेंढक, पिंजरों में इधर-उधर भागते चूहे, एक-दूसरे के ऊपर कीड़े-मकोड़े और पिंजरों में भरे पक्षी। पिंजरों में कुत्तों के बच्चों को भी देखा गया था उन्हें उनके मांस के लिए बेचा जा रहा था। बड़े कुत्तों के मुंह को रस्सी से बांध दिया गया था और उनके शरीर को बोरियों में भरकर रखा गया था। कुत्तों को मार्कर उनकी अंतड़ियों को अलग कर दिया जाता है और उनके शरीर को जलाकर भून जाता है व भुने हुए मांस की बिक्री की जाती है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारत में कुत्तों को मांस के लिए मारने की अनुमति नहीं है।
नागालैंड के चांगकी में, शिकारी उन जानवरों का शिकार करके बाज़ारों में बेचते हैं जो WPA, 1972 के तहत संरक्षित हैं। कानून होने के बावजूद, एक शिकारी ने दावा किया कि इन जानवरों के शिकार पर कोई स्थानीय प्रतिबंध नहीं है।
अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर मार्केट में राजकीय पशु “मिथुन” का मांस खुलेआम बेचा जा रहा था
सेप्पा के बाज़ार में लटका यह हिरण का मांस है।
क्रूर एवं गंदे बाजारों को पहले प्रलेखित किया गया था
2020 में, PETA इंडिया ने निम्नलिखित तथ्यों को उजागर करते हुए इनके वीडियो फुटेज जारी किए थे-
- दिल्ली में गाजीपुर मुर्गा मंडी में पुरुषों ने जीवित मुर्गियों का गला काटा और पाने नंगे हाथों से उनकी खाल उतारी, और उनके मांस के लोथड़ों को उठाया जो खून से लथपथ थे।
- पश्चिम बंगाल के मलांचा में एक मछली बाजार में कई केकडे और ईल पन्नी के बैग में रखे थे और तड़फ रहे थे।
- नागालैंड के दीमापुर के कीरा बाजार और नागालैंड के कोहिमा में माओ मार्केट के पास पकड़े गए कुत्तों को मारकर मांस के लिए बेच दिया गया।
- मणिपुर के नट बाजार में विक्रेता जंगली जानवरों के जले हुए अवशेषों को हाथों से उठा रहे थे जिनमें बंदर, जंगली सूअर, साही और हिरण शामिल हैं – और विभिन्न जंगली जानवरों का मांस चुराचंदपुर बाजार में बेचा जाता था।
मांस बाजार जूनोटिक रोग पैदा कर सकते
इन बाजारों में पाई जाने वाली अस्वच्छ स्थितियां जूनोटिक रोगों (जानवर से इन्सानों में फैलने वाले रोग) को फैलाने के लिए आदर्श हैं, और अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान महामारी सबसे पहले चीन के वुहान में एक जीवित-पशु बाजार में वन्यजीवों से मनुष्यों में फैली है। बर्ड फ्लू, सार्स, स्वाइन फ्लू, और निपाह वायरस उन बीमारियों में से हैं जो भोजन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जानवरों के इलाज से जुड़ी हैं। इन बाजारों को सुरक्षित बनाने का कोई उपाय नहीं है – इन्हें बंद किया जाना चाहिए।
PETA इंडिया ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को पत्र लिखकर प्रवर्तन छापेमारी सुनिश्चित करने और लोगों की जान बचाने में मदद करने का आग्रह किया है।
हमारी याचिका में शामिल होने के लिए नीचे दी गई अपील पर हस्ताक्षर करें। सभी संकलित हस्ताक्षर MoEF&CC को डिलीवर किए जाएंगे।
निवेदन:
आदरणीय मंत्री जी :
मैंने PETA इंडिया का जांच वीडियो देखा है जिसमें अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के कई बाजारों में जंगली जानवरों के क्रूर और अवैध व्यापार का खुलासा किया गया है। वीडियो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 के बड़े पैमाने पर उल्लंघन को दर्शाता है; पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; और खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006। ये बाजार जूनोटिक रोगों के खिलाफ हमारी लड़ाई में इन संबंधित राज्यों, देश और वास्तव में दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
बाजार WPA के तहत संरक्षित विभिन्न प्रकार के जानवरों के वन्यजीव या उत्पाद बेचते हैं, जिनमें बंदर, साही, जंगली हिरण, जंगली सूअर, मेंढक और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। नागालैंड में कुत्तों का मांस भी बेचा जा रहा था। इसके अलावा, नागालैंड के चांगकी में एक शिकारी का वीडियो फुटेज है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में जंगली-पशु संरक्षण कानून कभी लागू नहीं होते हैं।
इस सब के मद्देनजर, मेरा अनुरोध है कि आप कृपया PETA इंडिया के निष्कर्षों की समीक्षा करें, WPA लागू करें, और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को अनगिनत लोगों की जान बचाने के लिए नियमित आधार पर चिन्हित स्थानों पर छापामारी करने का निर्देश दें।
भवदीय,