PETA इंडिया की शिकायत के बाद कबूतर मार्केट से हजारों तोतों एवं अन्य पक्षियों को बचाया गया
23 मार्च को PETA इंडिया की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट के अवैध कारोबारियों से हजारों छोटे एवं बड़े तोतों एवं अन्य पक्षियों को जब्त किया जिनमें ‘रिंग-नेक्ड’ और ‘प्लम हेडेड’ पैराकीट्स (तोते), सैकड़ों मुनिया, दो पहाड़ी मैना और एक कबूतर शामिल हैं। PETA इंडिया के प्रतिनिधियों ने इन तोतों को बेहद छोटे एवं अंधेरे कमरों में रखे तंग पिंजरों में एक दूसरे पर चढ़ा हुआ पाया जहाँ इनका दम घुट रहा था और यह हवा-पानी के लिए आपस में संघर्ष कर रहे थे। यहाँ रखे छोटे-छोटे गत्ते के डिब्बों में नन्हें तोतों को एक-दूसरे के ऊपर भर कर रखा गया था। इनमें से कई मृत तोते पिंजरों के तार की जाली के बीच फंसे और फर्श पर लावारिस पड़े पाए गए थे जिनमें से कुछ पक्षियों के शव सड़ने भी लगे थे। इसके बाद PETA इंडिया द्वारा औपचारिक रूप से जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई गयी जिसमें यह अनुरोध किया गया कि इस मामले में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज़ कराई जाए। PETA इंडिया ने दिल्ली वन विभाग के पास एक अन्य शिकायत भी दर्ज की जिसमें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट दर्ज करने का आह्वान किया गया।
इस कार्यवाही में बचाय गए सभी पक्षी वर्तमान में वन विभाग की हिरासत में हैं और बड़े तोतों, मुनिया और पहाड़ी मैना को पशु चिकित्सकीय जांच और अदालत की अनुमति के बाद उनके प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने की उम्मीद है। उप वन संरक्षक (उत्तर) के निर्देश के अनुसार बचाए गए छोटे एवं बड़े पक्षियों की देखभाल और प्रबंधन की जिम्मेदारी वाइल्डलाइफ SOS को सौंपी गयी है। PETA इंडिया की बचाव टीम ने बचाए के बाद पुलिस स्टेशन लाये जाने पर उन्हें भोजन पाने दिया व बाद में सुरक्षित वन विभाग के कार्यालय में भेज दिया गया।
“पहाड़ी मैना” WPA की अनुसूची I के तहत संरक्षित पक्षी है और ऐसी संरक्षित प्रजातियों से जुड़े अपराध में कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही कम से कम 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अन्य बचाए गए तोते और मुनिया भी WPA की अनुसूची IV के तहत संरक्षित प्रजातियां हैं, और उनसे जुड़े अपराध में तीन साल तक की कैद, 25,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
अपने प्रकर्तिक जीवन में यह पक्षी अनेकों तरह की सामाजिक गतिविधियों में लीन रहते हैं जैसे कि रेत में नहाना, लुका छुपी खेलना, नाचना, साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना व अपने नन्हें बच्चों की परवरिश करना। लेकिन जब इन पक्षियों को पिंजरों में कैद कर लिया जाता है तो यह खुशदिल पक्षी उदास व निराश हो जाते हैं। वह तनाव के चलते खुद को चोटिल कर लेते हैं। बहुत से लोग इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं ताकि वह आसमान में ना उड़ सकें हालांकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही जरूरी है जितना कि इन्सानों के लिए चलना फिरना।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम विभिन्न स्वदेशी प्रजाति के पक्षियों को कैद करने, पिंजरे में रखने और उनके व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है और इसका पालन न करने पर कैद और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा, पक्षियों को पिंजरों में बंद रखना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन हैं, जो यह कहता है कि किसी भी जीव जन्तु को किसी ऐसे पिंजरे में रखना अवैध है जो उसके शरीर की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई में पर्याप्त नहीं है व जिसमे वह जानवर सही से अपना हाथ पैर नहीं फैला सकता। पक्षी के लिए शरीर की उचित आवाजाही का मतलब खुले आसमान में उड़ना है।
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