अपनी फिल्मों में कभी भी पशुओं का प्रयोग न करने का संकल्प लेने हेतु पूजा भट्ट की कंपनी ‘फिश आई नेटवर्क’ को PETA इंडिया का अवार्ड
PETA इंडिया की अपील के जवाब में, ‘फिश आई नेटवर्क’ की निदेशक पूजा भट्ट ने अपनी कंपनी की फिल्मों में कभी भी जीवित जानवरों का उपयोग न करने का संकल्प लिया है। इस प्रकार की प्रतिबद्धता दिखने वाली देश की पहली फिल्म निर्देशक बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया। PETA इंडिया ने अपनी अपील में इंगित किया था कि फिल्म निर्माण में जिंदा जानवरों की जगह कंप्यूटर आधारित इमेजरी (सीजीआई), विजुअल इफेक्ट्स और एनिमेशन जैसे विकल्पों का प्रयोग किया जा सकता है। PETA इंडिया की ओर से फिश आई नेटवर्क को Compassionate Filmmakers’ Award से नवाज़ा गया है।
इच्छुक मानव कलाकारों के विपरीत, फिल्म और टेलीविजन में उपयोग किए जाने वाले जानवरों को अक्सर भीड़भाड़ वाले फ़िल्म सेटों पर पहुँचने के लिए लंबी एवं तनावपूर्ण यात्राएँ करनी पड़ती हैं जिसके चलते इन्हें शारीरिक शोषण, भूख-प्यास एवं क्रूर प्रशिक्षण का सामना करना पड़ता है। इन जानवरों को आमतौर पर उनकी मां से अलग कर दिया जाता है, जब इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा होता तो इन्हें जंजीरों में कैद रखा जाता है एवं प्यार और उचित देखभाल से वंचित रखा जाता है। इस तरह के फिल्मांकन के दौरान बहुत से जानवर चोटिल हुए है व उनकी मृत्यु तक हुई है जैसा की कुछ ही दिन पहले ‘पोन्नियिन सेलवन’ नामक दक्षिण भारतीय फिल्म के सेट पर एक घोड़े की मौत के का मामला सामने आया था।
पिछले वर्ष घोड़े की सवारी पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करने, सामुदायिक बिल्लियों की नसबंदी और अनेकों बचाव कार्य हेतु किए गए प्रयासों व कई अन्य तरीकों से जानवरों की मदद करने के लिए पूजा भट्ट को PETA इंडिया की ओर से ‘हीरो टु एनिमल्स’ अवार्ड से नवाज़ा गया था।
भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड नामक सरकारी निकाय ने हाल ही में एक एडवाइजरी जारी कर फ़िल्म निर्माण कंपनियों को पशु कल्याण का हवाला देते हुए जीवित जानवरों को डिजिटल चित्रण विकल्प के साथ बदलने का आग्रह किया।