PETA इंडिया की ‘विश्व महासागर दिवस’ पर सागरों से पकड़ी जाने वाली मछलियों के लिए अपील- ‘कोई भी ऑक्सीजन की कमी से नही मरना चाहता’
विश्व महासागर दिवस (8 जून) को मनाते हुए PETA इंडिया ने सांस लेने संघर्ष करती मछलियों की पीड़ा को उजागर करते हुए बिलबोर्ड के माध्यम से इन संवेदनशील जलीय जीवों को इंसान का भोजन बनने के लिए जाल मे पकड़े जाने व ऑक्सीजन की कमी से घुट घुट कर मरने से बचाने हेतु लोगों को वीगन जीवनशैली अपनाने का अनुरोध किया है। PETA ने यह होर्डिंग चेन्नई, गोवा, कोलकाता और मुंबई में लगवाई हैं।
अन्य सभी जानवरों की तुलना में प्रत्येक वर्ष भोजन के लिए सबसे अधिक मछलियाँ ही मारी जाती हैं। मछलियों को उतना ही दर्द होता है जितना कि स्तनधारियों को होता है, मचलियाँ चंचल एवं संवेदनशील जीव है वह लंबे समय तक यादें सँजो के रखती हैं, और पानी के भीतर गाती हैं – फिर भी वे और अन्य समुद्री जानवर इन्सानों का भोजन बनने के लिए जाल में फस कर, जिंदा कुचल कर, दम घुट कर, खौलते पानी में उबल कर, या खुले माहौल में तेज़ धारदार चाकू से कट कर मौत के घाट उतार दिये जाते हैं।
हर साल, मछली पकड़ने का उद्योग 720,000 समुद्री पक्षी, 300,000 व्हेल और डॉल्फ़िन, 345,000 सील और समुद्री शेर, और 100 मिलियन शार्क और किरणों सहित बड़ी संख्या में गैर-लक्षित जानवरों को भी मारता है। PETA इंडिया ने संज्ञान लिया है कि मछली पकड़ना समुद्री वन्यजीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है।