बड़ी जीत! PETA इंडिया ने JIPMER की अवैध प्रयोगशाला से लगभग 100 जानवरों का रेसक्यू किया
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21 July 2022
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पुडुचेरी – पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा दर्ज़ कराई गयी शिकायत के बाद “कमेंटी फॉर द पर्पस ऑफ कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट ऑन एनिमल्स” (CPCSEA) द्वारा की गई सख़्त कार्यवाही के परिणामस्वरूप “जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च” (JIPMER), पुडुचेरी में अवैध रूप से प्रजनन एवं परीक्षण हेतु प्रयोग किए जा रहे 100 से भी अधिक चूहों का रेसक्यू किया गया। PETA इंडिया द्वारा CPCSEA और JIPMER को क़ानूनी उल्लंघन एवं पशु क्रूरता संबंधी साक्ष्यों को प्रस्तुत किया गया था। JIPMER की पशु प्रयोगशाला से बचाए गए इन जीवों को आवश्यक सुविधाओं और पशु चिकित्सा सेवाओं वाली सेंक्चुरी में भेजे जाने हेऊ उन्हें PETA इंडिया को सौंप दिया गया है।
इस बचाव कार्य की फ़ोटो एवं वीडियो फुटेज मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएंगी।
PETA इंडिया को किसी एक छात्र से मिली शिकायत के अनुसार, JIPMER में परीक्षणों के लिए चूहों को दयनीय परिस्थितियों में रखा गया था और उन्हें एक भीड़-भाड़ से भरे डब्बे में दूषित भोजन खाने के लिए मजबूर किया जा रहा था जो कि CPCSEA के नियमों और दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही, इन जीवों का अप्राकृतिक ढंग से अधिक प्रजनन किया जा रहा था और इनकी जनसंख्या कम करने के लिए छात्रों को इनपर जबरन परीक्षण करने हेतु बाध्य किया जा रहा था। विभिन्न शोध प्रकाशनों के अनुसार, पिछले एक दशक में JIPMER ने अनेकों जीवों पर दर्दनाक परीक्षण किए गए हैं। परीक्षणों के दौरान इन जीवों को दवाओं और रसायनों का सेवन करने के लिए मजबूर किया गया, जानबूझकर बीमारियों से संक्रमित, विकृत प्रक्रियाओं के अधीन किया गया व परीक्षण के उपरांत अंततः उन्हें मार दिया गया था।
PETA इंडिया की साइंस पॉलिसी एडवाइजर डॉ अंकिता पांडे ने कहा – “इन सभी जानवरों को प्रयोगशाला में जीवन भर के दुख और दर्द से बचाया जाना एक अच्छी ख़बर है लेकिन अभी ऐसे बहुत से निर्दोष जीवों को अवैध प्रयोगों से बचाना ज़रूरी है। हम आशा करता हैं कि यह घटना भारत भर के संस्थानों को छात्रों को प्रशिक्षित करने हेतु गैर-पशु परीक्षण विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी”।
PETA इंडिया द्वारा JIPMER में पशु संरक्षण कानूनों के घोर उल्लंघन के खिलाफ़ सचेत किए जाने के बाद CPCSEA द्वारा बचाव को मंजूरी दी गई। CPCSEA ने JIPMER के निदेशक को नोटिस भेजकर इन प्रयोगों को तुरंत रोकने का निर्देश दिया था एवं संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। इसके बाद PETA इंडिया ने CPCSEA और JIPMER को इन जानवरों के लिए जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड नामक सरकारी निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त सेंक्चुरी में स्थायी पुनर्वास और आजीवन देखभाल की पेशकश की थी।
CPCSEA को लिखे अपने पत्र में, PETA इंडिया ने उल्लेख किया कि JIPMER ने वर्ष 2012 से अपने पंजीकरण लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया है एवं 5 मई 2022 को CPCSEA द्वारा संस्थान का पंजीकरण रद्द किए जाने के बावजूद यहाँ चूहों पर परीक्षण एवं अवैध प्रयोगों की फ़ंडिंग जारी थी। यह जानवरों के प्रजनन और प्रयोग (नियंत्रण और पर्यवेक्षण) नियम, 1998 का सीधा उल्लंघन है, जिसके अनुसार CPCSEA पंजीकरण के बिना जानवरों पर प्रजनन और प्रयोग पर रोक लगाई गयी है। PETA इंडिया ने अपनी शिकायत में, फ़ोटो के माध्यम से संस्थान में पशुओं पर होने वाली क्रूरता के सबूत प्रस्तुत किए, इंस्टीट्यूटनल एनिमल एथिक्स कमेटी (IAEC) द्वारा जारी पशु प्रयोग से संबंधी प्रस्तावों को आमंत्रित करने वाला परिपत्र, अवैध पशु प्रयोगों को मंजूरी देने वाली IAEC बैठकों के कार्यवृत्त, पशु प्रयोगों से जुड़े प्रस्तावों का समर्थन करने के लिए अनुसंधान अनुदान जारी ज्ञापन, और पिछले 10 वर्षों के दौरान संस्थान द्वारा जानवरों पर किए गए प्रयोगों पर चर्चा करने वाले शोध पत्र प्रकाशित किए।
PETA इंडिया जो इस धारणा में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे परीक्षण करने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें Twitter, Facebook, व Instagram सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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