PETA इंडिया और जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद तमिलनाडु पुलिस और वन विभाग ने हाथियों के साथ की गयी क्रूरता के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया
PETA इंडिया द्वारा भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड और विरुधुनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज़ कराई गयी शिकायत के बाद, जेमाल्याथा नामक हथिनी को मारते हुए दो बारे कैमरे पर कैद दोषी महावत के खिलाफ “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” की धारा 11(1)(a) और “भारतीय दंड संहिता, 1860” की धारा 289 और 429 के तहत FIR दर्ज़ की गयी। AWBI ने तमिलनाडु के प्रिन्सिपल चीफ़ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट और चीफ़ वाइल्डलाइफ वार्डेन से भी कार्रवाई करने के लिए अनुरोध किया था, जिसके बाद प्राप्त सूचना के अनुसार वाइल्डलाइफ ओफ़ेन्स रिपोर्ट दर्ज़ की गयी है लेकिन इस रिपोर्ट की प्रति हमें अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। वाइरल हुए दो अलग-अलग वीडियो में महावतों द्वारा दो हाथियों को पीटते हुए देखा जा सकता है। हाल ही में सामने आई वीडियो में, श्रीविल्लिपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर में उसे दर्द से चिल्लाते हुए देखा जा सकता है।
Respected @mkyadava, @supriyasahuias, @mkstalin & @CMOfficeAssam, in another video of elephant Jeymalyatha she is screaming while beaten.
Pls rescue her from illegal custody by Srivilliputhur Nachiyar Thirukovil temple, & send to sanctuary: https://t.co/MWpSBIX7aQ
📹 @abpnadu pic.twitter.com/8pBkHPpPgn
— PETA India (@PetaIndia) June 28, 2022
PETA इंडिया की एक टीम हाल ही में जेमल्यता से मिलने गयी थी, जहां हमने पाया कि इस निर्दोष हथिनी को बिल्कुल अकेले और जंजीरों में कैद करके अपने मल-मूत्र में खड़ा होने के लिए बाध्य किया गया था। इस दुर्व्यवहार के कारण जेमाल्याथा में कई प्रकार की मानसिक विकृतियाँ देखने को मिली और वो लगातार अंकुश घोंपे जाने के डर में जी रही थी।
हाल ही में वायरल हुए वीडियो में, असहाय हथिनी को जंजीर से कसकर बंधे दर्द से चिल्लाते हुए देखा जा सकता है और महावत उसे लगातार केन से पीट रहा है। यह हथिनी असम सरकार की है लेकिन WPA का उल्लंघन करते हुए इसे लीज समझौते समाप्त होने के बाद भी तमिलनाडु के मंदिर में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। फरवरी 2021 में सामने आए पहले वीडियो में, जयमाल्यथा को एक रेजुवनेशन कैंप में पीटा गया था जिसके बाद, तमिलनाडु के हिन्दू द्वारा दो महावतों को निलंबित किया गया। वन विभाग ने इन पर तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के नियम 13 और WPA की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया।
कैद में हाथियों के साथ होने वाले शोषण के चलते, माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य सरकार को हाथियों के स्वामित्व से संबन्धित एक नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट के अनुसार, सभी प्रकार के हाथी (जिसमें निजी स्वामित्व या मंदिर स्वामित्व वाले हाथी शामिल हैं) वन विभाग की देखरेख में आने चाहिए और भविष्य में हाथियों के निजी स्वामित्व को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय जनमत हाथियों को बंदी बनाने की प्रथा का तेजी से विरोध कर रहा है।
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