PETA इंडिया की नई जाँच में खुलासा हुआ कि असम की हथिनी जोयमाला जिसे बेरहमी से पीटा गया था, उसे उसके नए महावत द्वारा भी प्लास से नोचा जाता है
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29 August 2022
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समूह द्वारा चेतावनी दी गयी कि यह शोषित हाथी अक्सर जवाबी कार्रवाई करते हैं और महावतों एवं भक्तों की मंदिरों में हत्या तक कर देते हैं। तमिलनाडु वन विभाग को इसे जल्द से जल्द जब्त करना चाहिए
गुवाहाटी: पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने असम एवं तमिलनाडु के वन विभाग अधिकारियों को नयी चिकित्सीय जांच की रिपोर्ट सौंपी है। जयमाला (जिसे तमिल नाडु में जैमलयथा कहा जाता है) को श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर में एक दशक से ज़्यादा बंदी बना कर रखा है और उसे तमिलनाडू में ही पास के कृष्णनन कोविल मंदिर में रखा गया है। PETA द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट में जयमाला के साथ हो रहे नियमित दुर्व्यवहार को उजागर किया गया है। उस पर किए जाने वाले अत्याचारों में हथियारों से यातनाएं देना भी शामिल है जैसे कि नया महावत ने उसे प्लायर से नोचता है। . इससे पहले पुराने महावतों द्वारा जयमाला की पिटाई का विडियो सामने आने के बाद इस नए महावत को नियुक्त किया गया था। रिपोर्ट में यह भी चौंकने वाला खुलासा हुआ है कि जयमाला का वाइरल वीडियो जिसमें उसको ज़ंजीरों से बांधकर इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसके चीखने और दर्द से कराहने की आवाज़े साफ सुनी जा सकती हैं, वह स्थान कृष्णन कोविल मंदिर का गर्भगृह था। इसके पहले के एक वीडियो में जोयमाला को एक कायाकल्प शिविर में दो अन्य महावतों द्वारा पिटाई किए जाने के दौरान वह दर्द से चिल्लाती हुई दिखाई दी थी।
जांच की रिपोर्ट तथा जयमाला की लगातार की जा रही पिटाई की तस्वीरें व वीडियो फुटेज यहाँ से देखे वा डाउनलोड किए जा सकते हैं। रिपोर्ट की एक प्रति यहाँ उपलब्ध है।
हालांकि तमिलनाडु वन विभाग ने PETA इंडिया को हथिनी के निरीक्षण करने और उसके निष्कर्षो पर रिपोर्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था, महावत ने PETA समूह की जांच टीम को खुले तौर पर तस्वीरें और वीडियो लेने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। लेकिन हमारा जांच दल गुप्त रूप सबूत जुटाने में कामयाब रहा। जयमाला के साथ होने वाली यह क्रूरता इतनी नियमित प्रतीत होती है कि महावत ने जांच दल के सामने ही जयमाला को नियंत्रित करने हेतु उसकी त्वचा को नोचने के लिए सरोते (प्लायर) का इस्तेमाल किया। जयमाला को दिन के 16 घंटे तक दोनों पैरों में जंजीरों से बांध कर रखा जाता है उसी शेड में बहुत से अंकुश भी पाए गए। जिन चार घंटों तक निरीक्षण वहाँ मौजूद थे, उस दौरान जयमाला को भोजन व पानी नहीं दिया गया। क्यूंकी जयमाला को अधिकांश समय तक कंक्रीट के बने पक्के फर्श पर बिताने के लिए मजबूर किया जाता है इसलिए उसके पैर दर्दनाक रूप से संक्रमित हैं।
PETA इंडिया की डायरेक्टर एडवोकेसी खुशबू गुप्ता कहती हैं – “क्यूंकी जयमाला को एक के बाद एक महावतों के द्वारा बुरी तरह से पीटा जा रहा है और क्योंकि उसको वहाँ अवैध रूप से रखा गया है, इसलिए अधिकारियों को तत्काल रूप से उसे अपने कब्जे में लेकर किसी ऐसे पुनर्वास केंद्र भेजना चाहिए जहां वह अन्य साथी हाथियों के बीच जंजीरों से मुक्त जीवन जी सके। कोई भी जीवित प्राणी लगातार जंजीरों में बंधकर मार पिटाई नहीं बर्दाश्त कर सकता। यदि इस मामले में अधिकारी उसकी मदद करने में विफल रहते हैं तो जयमाला इस यातनाभरे जीवन से तंग आकार एक न एक दिन अपने आसपास के महावत या अन्य लोगों को मार देगी, इसके पहले भी इस तरह के जीवन से तंग आकार कई निराश हथियों ने ऐसा किया है”।
तमिलनाडु और पूरे भारत में ऐसी कई घटनाएँ हैं जिनमे बंदी हाथियों ने यतनाओं से भरे जीवन से तंग आकार अपने महावतो को मार डाला है। उदाहरण के लिए ‘दीवानाई’, जो भी असम की थी और उसने मदुरई के सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में अपने महावत को ही मार डाला था। उसी तरह ‘मासिनी’ जिसे त्रिची के समयपूरम मरियम्मन मंदिर में रखा गया था और ‘मधुमती’ जिसे मदुरई के मंदिर के उत्सव में इस्तेमाल किया जाता था, इन्होने ने भी अपने महावतों की हत्या कर दी थी।
PETA इंडिया द्वारा दर्ज की गयी शिकायतों एवं जयमाला की पिटाई के दो वीडियो वायरल होने व सरकारी निकाय “भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड” के हस्तक्षेप के बाद महावत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत FIR दर्ज की गयी थी। इसके अलावा तमिलनाडु बंदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के साथ वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 के तहत एक वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, कथित तौर पर जुलाई में श्रीविल्लीपुथुर वन रेंज द्वारा दर्ज की गई थी।
श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर द्वारा छह माह की लीज़ अवधि समाप्त होने के बाद भी जयमाला को असम पर्यावरण और वन विभाग को वापिस नहीं सौंपा गया था। पहला वीडियो, जो फरवरी 2021 में सामने आया था उसमे देखा गया कि जेमाल्याथा को एक कायाकल्प शिविर में महावतोंद्वारा पीटा जा रहा है जिसके उपरांत कार्यवाही करते हुए तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने उक्त दोनों महावतों को निलंबित कर दिया था। तमिलनाडु के वन विभाग ने उन पर तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के नियम 13 और WPA, 1972 की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया था। इन कार्यवाहियों के बावजूद अब हाल ही में आए दूसरे वीडियो में देखा जा सकता है कि जेमाल्याथा के साथ दुर्व्यवहार में कोई कमी नहीं आयी व नए महावत भी उस पर लगातार जुल्म कर रहे हैं। और अब PETA इंडिया की इस नयी रिपोर्ट मे फिर से सामने आया है कि महावत लगातार उसके साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है की “जानवर किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है जो मनुष्य की एक ऐसी सोच है जिसके तहत वह स्वयं को संसार में सर्वोपरि मानकर अपने फ़ायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं और हमें Twitter, Facebook, अथवा Instagram.पर फॉलो करें।