PETA इंडिया और स्थानीय समूह की मदद से बापतला पुलिस द्वारा सुबह तड़के छापेमारी करके 16 गधों को बचाया गया और 100 किलो से भी अधिक गधे के मांस को ज़ब्त किया गया

Posted on by Sudhakarrao Karnal

PETA इंडिया की एक शिकायत के बाद, बापटला पुलिस ने PETA इंडिया और आंध्र प्रदेश के स्थानीय समूहों के साथ एक संयुक्त अभियान में, बापटला जिले में छापा मारा, जिसमें 100 किलोग्राम से अधिक गधे का मांस और 16 जीवित गधों को जब्त किया गया, जिनका वध किया जाना था। एनिमल रेस्क्यू ऑर्गनाइजेशन के गोपाल सुरबथुला, हेल्प फॉर एनिमल्स सोसाइटी के तेजोवंत अनुपोजू और पूर्वी गोदावरी SPCA के विजय किशोर पालिका छापेमारी का हिस्सा थे। इस अवैध कारोबार और पशु हत्या में शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। गौरतलब है कि पिछले महीने ही बापटला पुलिस ने ऐसे ही एक ऑपरेशन में PETA इंडिया और स्थानीय समूहों के सहयोग से 400 किलोग्राम से अधिक गधे का मांस जब्त किया, तीन FIR दर्ज की और चिराला से गधों के मांस के अवैध व्यापार के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया।

बापटला नगर थाना क्षेत्र में हीरो शोरूम के पास करलापलेम रोड पर एक अवैध बूचड़खाने पर छापा मारा गया जहाँ खास तौर पर गधों को मौत के घाट उतारा जाता था। छापेमारी के दौरान टीम ने दो गधों का ताज़ा मांस प्राप्त किया जिनके गलों को बेहद क्रूरता के साथ चीरा गया था और सिर सहित उनके शरीर को काटा गया था। गधों के मृत शरीर को पुलिस द्वारा ज़ब्त किया गया था। बापटला टाउन पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के विभिन्न प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की गई है; जिसमें पशु क्रूरता निवारण अधिनियम,1960; और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 शामिल है। इस कार्यवाही में बचाए गए गधों का पशु चिकित्सकीय परीक्षण किया गया जिसमें सामने आया कि इनके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर गहरी चोटें या कई गंभीर घाव थे। इन सभी को एक सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया गया।

भारत में, गधों को मारना और गधे के मांस का सेवन कई नियमों के तहत गैरकानूनी हैं। गधे की हत्या करना IPC, 1860 की धारा 429 का स्पष्ट उल्लंघन है, और इसके लिए पांच साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। PCA अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(ए) और (एल) के तहत भी गधों को मारना एक अपराध है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत गधे के मांस का सेवन अवैध है और पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम, 2001 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों को मारना प्रतिबंधित है।

पिछले सात सालों की अवधि में, भारत में गधों की आबादी में 61% की गिरावट आई है।

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