PETA इंडिया ने अपने नए खुलासे मे दिखाया की नया महावत अवैध रूप से बंदी बनाकर रखी गयी हथिनी जैमलयथा के शरीर को सरोते (प्लायर) से नोच रहा है
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17 November 2022
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PETA समूह ने हथियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले लोगों को चेतावनी दी है कि सताये गए हाथी अक्सर जवाबी कार्रवाई करते हैं, महावत एवं भक्तों की हत्या तक कर देते हैं, वन विभाग जल्द इस हथिनी को अपने कब्जे मे ले।
चेन्नई- पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने असम एवं तमिलनाडु के वन विभाग अधिकारियों को नयी चिकित्सीय जांच की रिपोर्ट सौंपी है। जैमलयथा को श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर में एक दशक तक बंदी बना कर रखा गया था (यह आसाम से लायी गयी थी और वहाँ उसे जॉयमाला के नाम से जाना जाता है) और अब उसे तमिलनाडू में ही कृष्णनन कोविल मंदिर के पास रखा गया है। PETA द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट में जैमलयथा के साथ हो रहे नियमित दुर्व्यवहार को उजागर किया गया है। उस पर किए जाने वाले अत्याचारों में हथियारों से यातनाएं देना भी शामिल है जैसे हाल ही में एक महावत ने उसे प्लायर से नोचा था। इससे पहले कुछ महावतों द्वारा जैमलयथा की पिटाई का विडियो सामने आने के बाद इस नए महावत को नियुक्त किया गया था। रिपोर्ट में यह भी चौंकने वाला खुलासा हुआ है कि जैमलयथा को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि पिटाई के वायरल वीडियो में सबसे पवित्र स्थान कृष्णन कोविल मंदिर जहां उसे फर्श पर जंजीरों से बांधकर रखा गया था वहाँ से उसके चीखने और दर्द से कराहने की आवाज़े साफ सुनी जा सकती हैं। इसके पहले, एक अन्य वीडियो में एक कायाकल्प शिविर में दो महावतों द्वारा पिटाई किए जाने के दौरान वह दर्द से चिल्लाती हुई दिखाई दी थी।
जांच के निष्कर्षो तथा जैमलयथा की लगातार की जा रही पिटाई की तस्वीरें व वीडियो फुटेज मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाये जाएंगे।
हालांकि तमिलनाडु वन विभाग ने PETA इंडिया को हथिनी के निरीक्षण करने और उसके निष्कर्षो पर रिपोर्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था, महावत ने PETA समूह की जांच टीम को खुले तौर पर तस्वीरें और वीडियो लेने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। लेकिन हमारा जांच दल गुप्त रूप सबूत जुटाने में कामयाब रहा। जैमलयथा के साथ होने वाली यह क्रूरता इतनी नियमित प्रतीत होती है कि महावत न हमारे जांच दल के सामने ही जैमलयथा को नियंत्रित करने हेतु उसकी त्वचा को नोचने के लिए सरोते (प्लायर) का इस्तेमाल तक कर डाला। जिस शेड में जैमलयथा को दिन के 16 घंटे तक दोनों पैरों में जंजीरों से बांध कर रखा जाता है उसी शेड में हमारे जांच दल को बहुत से अंकुश भी पड़े मिले। जिन चार घंटों तक निरीक्षण वहाँ मौजूद थे, उस दौरान जैमलयथा को भोजन व पानी नहीं दिया गया। क्यूंकी जैमलयथा को अधिकांश समय तक कंक्रीट के बने पक्के फर्श पर बिताने के लिए मजबूर किया जाता है इसलिए उसके पैर दर्दनाक रूप से संक्रमित हैं.
PETA इंडिया की डायरेक्टर एडवोकेसी खुशबू गुप्ता कहती हैं – “क्यूंकी जैमलयथा को एक के बाद महावतों के द्वारा बुरी तरह से पीटा जा रहा है व उसे पहले स्थान पर अवैध रूप से बंदी बनाकर रखा गया था, इसलिए अधिकारियों को तत्काल रूप से उसे अपने कब्जे में लेकर किसी ऐसे पुनर्वास केंद्र भेजना चाहिए जहां वह अन्य साथी हाथियों के बीच जंजीरों से मुक्त जीवन जी सके। कोई भी जीवित प्राणी लगातार जंजीरों में बंधकर नियमित मार पिटाई नहीं बर्दाश्त कर सकता। यदि इस मामले में अधिकारी उसकी मदद करने में विफल रहते हैं तो जैमलयथा इस यातनाभरे जीवन से तंग आकार एक न एक दिन अपने आसपास के महावत या अन्य लोगों को मारकर वह स्वयं कार्यवाही कर लेगी, इसके पहले भी इस तरह के जीवन से तंग आकार कई निराश हथियों ने ऐसा किया है”।
तमिलनाडु और पूरे भारत में ऐसी कई घटनाएँ हैं जिनमे बंदी हाथियों ने यतनाओं से भरे जीवन से तंग आकार अपने महावतो को मार डाला है। उदाहरण के लिए ‘दीवानाई’, जो असम की थी और उसने मदुरई के सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में अपने महावत को ही मार डाला था। उसी तरह ‘मासिनी’ जिसे त्रिची के समयपूरम मरियम्मन मंदिर में रखा गया था और ‘मधुमती’ जिसे मदुरई के मंदिर के उत्सव में इस्तेमाल किया गया था, इन्होने ने भी अपने महावतों की हत्या कर दी थी।
PETA इंडिया द्वारा दर्ज की गयी शिकायतों एवं जैमलयथा की पिटाई के दो वीडियो वायरल होने व सरकारी निकाय “भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड” के हस्तक्षेप के बाद महावत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत FIR दर्ज की गयी थी। इसके अलावा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 व तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के तहत जुलाई माह में श्रीविल्लीपुथुर वन रेंज में रिपोर्ट दर्ज कराई गयी थी।
श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर द्वारा छह माह की लीज़ अवधि समाप्त होने के बाद भी जैमलयथा को असम पर्यावरण और वन विभाग को वापिस नहीं सौंपा गया है। पहला वीडियो, जो फरवरी 2021 में सामने आया था उसमे देखा गया कि जेमाल्याथा को एक कायाकल्प शिविर में महावटों द्वारा पीटा जा रहा है जिसके उपरांत कार्यवाही करते हुए तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने उक्त दोनों महावतों को निलंबित कर दिया था। तमिलनाडु के वन विभाग ने उन पर तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के नियम 13 और WPA, 1972 की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया था। इन कार्यवाहियों के बावजूद अब हाल ही में आए दूसरे वीडियो में देखा जा सकता है कि जेमाल्याथा के साथ दुर्व्यवहार में कोई कमी नहीं आयी व नए महावत भी उस पर लगातार जुल्म कर रहे हैं। और अब PETA इंडिया की इस नयी रिपोर्ट मे फिर से सामने आया है कि महावत लगातार उसके साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है की “जानवर किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है जो मनुष्य की एक ऐसी सोच है जिसके तहत वह स्वयं को संसार में सर्वोपरि मानकर अपने फ़ायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं और हमें Twitter, Facebook, अथवा Instagram.पर फॉलो करें।
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