PETA इंडिया के नए बिलबोर्ड अभियान में जल्लीकट्टू को BULLing घोषित किया गया
PETA इंडिया द्वारा शहर के मुख्य स्थानों पर बिलबोर्ड लगवाकर जनता को जल्लीकट्टू के दौरान बैलों के साथ होने वाली क्रूरता के खिलाफ़ जागरूक किया गया है। यह बिलबोर्ड युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए मदुरै में थियागराजर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के पास और मनप्पराई में अरिगनार अन्ना गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज के पास लगवाए गए हैं। जल्लीकट्टू का मुख्य उदेश्य बैलों को डराना-धमकाना और उन्हें चोट पहुंचाना है।
PETA इंडिया की सबसे हालिया जांच ने साबित कर दिया है कि जल्लीकट्टू के आयोजनों के दौरान कोई भी नियम क्रूरता को खत्म नहीं कर सकत, क्योंकि इस हिंसक और खूनी तमाशे का उद्देश्य जानवरों को डराना, धमकाना, उकसाना और उन्हें अत्यधिक शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचाना है। PETA इंडिया ने पीसीए (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को निरस्त करने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। ‘तमिलनाडु संशोधन’ तमिलनाडू राज्य के कानून में किया गया एक ऐसा संशोधन है जो पीसीए अधिनियम, 1960 में संघीय सुरक्षा से इस्तेमाल किए जा रहे बैलों को जललीकट्टू जैसे खेलों मे इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।
2022 में, 13 जनवरी से 30 अप्रैल के दौरान आयोजित हुई जललीकट्टू दौड़ों में दो बैल और 17 इंसानों की मौत हुई थी हो गई, जबकि कुल 1655 इन्सानों और कम से कम छह बैल घायल हुए हैं। जबसे इस बर्बर खेल पर से प्रतिबंध हटा है, यानी 2017 से लेकर 30 अप्रैल 2022 के दौरान आयोजित जल्लीकट्टू खेलों में कुल 6351 लोग घायल हुए थे। जबकि इन घटनाओं में कथित तौर पर 86 इंसान, 23 बैल और एक गाय की मौत हुई थी।
हालांकि वास्तविक आंकड़े निश्चित रूप से कहीं अधिक हो सकते हैं, क्योंकि समाचार में सभी तरह की चोटों और मौतों की सूचना नहीं दी जाती है, विशेष रूप से जानवरों और मनुष्यों की वह मौतें और चोटें जो खेल समाप्त होने के कुछ समय बाद होती हैं या जो दूरदराज के गांवों में होती हैं।