ऐसे पाँच कदम जो आप हाथियों की सहायता करने के लिए उठा सकते हैं:

Posted on by Shreya Manocha

पूरे भारत में 2600 के लगभग हाथियों को बंधी बनाकर रखा गया है जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है। इन सभी हाथियों को मंदिरों में 24/7 जंजीरों से जकड़कर रखा जाता है, पर्यटकों को सवारी कराने के लिए जबरन मजबूर किया जाता है, सर्कसों में मारा-पीटा जाता है और उन्हें बहुत छोटी उम्र में ही अपने परिवारों से अलग कर दिया जाता है।

ऐसे पाँच कदम जो आप हाथियों की सहायता करने के लिए उठा सकते हैं: : 

  1. कभी भी हाथियों की सवारी न करें और दूसरों को भी इसका त्याग करने हेतु प्रेरित करें। आमेर के किले में पर्यटकों को सवारी कराने के लिए जबरन मज़बूर किए जाने वाले हाथी पैरों की जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं। उनमें से कई हाथी नेत्रहीन भी हैं फिर भी इन्हें सवारी कराने के लिए बाध्य किया जाता है। जब इन हाथियों का सवारी कराने के लिए प्रयोग नहीं किया जाता तब इन्हें एक जगह पर ज़ंजीरों पर बांधकर रखा जाता है और यह अपना एक पैर भी नहीं हिला पाते हैं। इन्हें सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है जिसमें भोजन-पानी और पशुचिकित्सकीय देखभाल शामिल है और इनमें से ज़्यादातर पशु टीबी, त्वचा रोग, नेत्र संक्रमण, अंधापन, मोतियाबिंद और गठिया से पीड़ित हैं।

 2. अपने स्थानीय मंदिर से अपील करें कि वे मॉडर्न और क्रूरता-मुक्त यांत्रिक हाथियों जैसे कि केरल के इरिंजाडापिल्ली श्रीकृष्ण मंदिर में इरिंजादप्पिल्ली रमन को अपनाएं, जो श्रद्धालुओं पर पानी बरसाने के लिए अपनी सूंड उठाता है।

3. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री से अनुरोध करें कि प्रदर्शन से प्रतिबंधित जानवरों की सूची में हाथियों को जोड़ने के लिए एक अधिसूचना जारी करें। यहां अपील पर हस्ताक्षर करें।

 4. अपने स्थानीय प्रतिनिधियों को पत्र लिखकर उन्हें अपनी पार्टियों के 2024 के चुनावी घोषणापत्र में हाथियों और सभी जानवरों की सुरक्षा को शामिल करने के लिए अनुरोध करें।

 5.  अपनी जानकारी को अपने मित्रों, परिवार और सहकर्मियों के साथ साझा करें। बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि कैद में रखे गए हाथियों को कितनी बुरी तरह से पीड़ित किया जाता है और उन्हें किस प्रकार से जंगलों चुराकर अपने परिवारों से अलग किया जाता है।

 

हाथी बेहद सामाजिक पशु है जो अपने परिवार के साथ मजबूत संबंध बनाकर रहते हैं। वह समस्याओं को मिलकर सुलझाते हैं तथा अपने बुजुर्गों द्वारा बनाई गयी जीवन शैलियों पर चलते हैं। अपने प्रकर्तिक घरों (जंगलों) में वह सामाजिक गतिविधियों, तालाबो में नहाना, घूमना व आपस में खेलकूद करना पसंद करते हैं।

असल जिंदगी में वह न तो किसी को पीठ पर सवारी कराते हैं ना ही उल्टे सीधे करतब दिखाते हैं। गंभीर तनाव भरी स्थितियों में कैदियों की तरह तथा बिना पर्याप्त आज़ादी मे रहने के कारण वह मानसिक विकार के शिकार हो जाते है व सिर को गोल गोल घुमाने जैसी हरकते करते हैं जो जंगलों में आज़ाद रहने वाले हाथियों को कभी करते हुए नहीं देखा गया। इसके अलावा जंगलों में रहने वाले हाथियों के मुक़ाबले इनका जीवन उतना लंबा नहीं होता, हमेशा कैद में रहने व्यवहार के अनुरूप अवसर ना मिलने के कारण इन हाथियों को अनेकों रोग एवं बीमारिया हो जाती हैं जैसे पैरों के तलवों का फट जाना, गंभीर घाव, सूजन तथा हड्डियों के रोग इत्यादि।

प्रदर्शन हेतु हाथियों के प्रयोग को समाप्त कराने में सहायता करें!!