PETA इंडिया की शिकायतों के बाद केंद्र सरकार के अधीन संचालित भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने सर्कसों को कारण बताओ नोटिस जारी किया
PETA इंडिया से मिली शिकायतों पर कार्यवाई करते हुए केंद्र सरकार के वैधानिक निकाय “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड”, जो देश में प्रदर्शनों के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों के संबंध में नियमों की देखरेख करता है, ने जम्बो सर्कस एवं ग्रेट इंडियन सर्कस को नोटिस भेजकर सवाल किया है कि वह इस बात का जवाब दें कि उनके “प्रदर्शनकारी पशु पंजीकरण प्रमाणपत्रो को तुरंत निलंबित क्यूँ नहीं किया जाए”। PETA इंडिया द्वारा दर्ज की गयी शिकायतों पर प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण के बात कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। पशुओं पर क्रूरता एवं इस संबंध में कई तरह के क़ानूनों के उल्लंघनों के अलावा उपरोक्त दोनों सर्कसों पर सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 289 के तहत केस दर्ज किया गया था। जम्बो सर्कस पर पक्षियों के उड़ान भरने से वंचित करने के लिए उनके पंखों को कुतरने के अपराध हेतु अतिरिक्त रूप से IPC की धारा 429 और 11(1) (L) भी लगाई गयी है। इस कारण बताओ नोटिस में यह भी शामिल किया गया है की दोनों सर्कस के बहुत से जानवर पंजीकृत है जो अकथनीय रूप से गायब हैं।
भारतीय सर्कस नियमित रूप से अवैध एवं क्रूर कार्यों को करते हैं। हाल ही में, PETA इंडिया द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (जानवरों की देखभाल एवं सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत दायर की गयी एक याचिका के बाद, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय त्रिशूर ने 11 मई 2023 को एक आदेश जारी कर ग्रेट बाम्बे सर्कस से एक मकाउ एवं कटे फटे पंखो वाले एक कॉकटू को जब्त कर तिरुवन्तपुरम के चिड़ियाघर को उसकी अन्तरिम देखभाल की ज़िम्मेदारी दी थी। सरकारी पशु चिकित्सकों की एक टीम द्वारा किए गए स्वास्थ्य निरीक्षण के दौरान उन्होने यह पुष्टि की इन पक्षियों के पंख कुतरे गए हैं।
PETA इंडिया द्वारा की गयी जाँचों एवं भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षणों में यह साबित हुआ है कि जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस स्वाभाविक रूप से क्रूर होते हैं, वह जानवरों को जंजीरों में बांधकर लगातार गंदे एवं बदबूदार तंग पिंजरों में कैद रखते हैं, उन्हें पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित कर उन सब चीजों से वंचित रखते हैं जो प्रकर्तिक रूप से उनके लिए जरूरी एवं स्वाभाविक हैं। उन्हें मारपीट एवं हथियारों के डर से भ्रामक, असुविधाजनक और दर्दनाक करतब करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्ही यातनाओं एवं कष्ठभरे जीवन के चलते यह जानवर अत्यधिक तनाव और मानसिक रूप से पीड़ित होने के व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं।
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