शाकाहारी जागरूकता माह के उपलक्ष्य में ‘खून से लथपथ’ महिला को थाली में परोसकर लोगों को वीगन बनने हेतु प्रेरित किया जाएगा
विश्व शाकाहारी दिवस (1 अक्टूबर) और शाकाहारी जागरूकता माह (अक्टूबर) के उपलक्ष्य में लोगों को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करने के लिए, PETA इंडिया के समर्थक एक विशाल प्लेट पर सब्जियों और चाकू के बीच खून से लथपथ नज़र आई। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य जनता को एक प्रतीकात्मक उदहारण देकर यह समझाना है कि कोई भी सजीव प्राणी खुद को दूसरों की प्लेट में भोजन के रूप में नहीं देखना चाहता है।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं” उल्लेखित करता है कि भोजन हेतु मौत के घाट उतारे जाने वाले पशुओं को अत्यंत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जैसा कि “Glass Walls” नामक बेहद चर्चित वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग की वास्तविक क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है। फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।
वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति, प्रति वर्ष लगभग 200 जानवरों को अत्यधिक पीड़ा और भयानक मृत्यु से बचाता है। इसके अलावा, भोजन के लिए जानवरों को पालना जल प्रदूषण और भूमि क्षरण का एक प्रमुख कारण है, और 2010 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन की ओर वैश्विक बदलाव आवश्यक है।