बड़ी जीत! केंद्र सरकार की समिति ने दवा परीक्षण के लिए बेघर कुत्तों को इस्तेमाल करने वाली योजना को वापिस लिया
पशु कल्याण और वैज्ञानिक उन्नति के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत गठित Committee for Control and Supervision of Experiments on Animals (CCSEA) नामक एक वैधानिक निकाय ने अगले आदेश तक वैक्सीन परीक्षणों हेतु बेघर कुत्तों के उपयोग की अपनी सिफारिश वापस ले ली है।
पिछले साल, PETA इंडिया ने कमेटी के इस फैसले के प्रति अपनी चिंता ज़ाहिर करी थी और उल्लेखित किया था कि इस प्रकार की छूट न केवल बेघर कुत्तों बल्कि अन्य वन्य पशुओं को भी परीक्षण हेतु उपयोग करने के रास्ते खोल देगी जिसमें दर्दनाक प्रभावोत्पादकता, विषाक्तता परीक्षण, विच्छेदन और प्रदर्शन शामिल हैं जिससे पशुओं के प्रति क्रूरता को और बढ़ावा मिलेगा। PETA इंडिया ने एक पत्र के माध्यम से, CCSEA से गैर पशु परीक्षण विधियों का समर्थन करते हुए, अपनी सिफारिश वापस लेने का आग्रह किया था।
PETA इंडिया के अनुसार वैक्सीन उत्पादन हेतु किसी भी प्रकार के कुत्तों का प्रयोग जैसे किसी ब्रीडिंग केंद्र से या बेघर कुत्ते लेना शामिल है, साइन्स को गलत रास्ते पर ले जाता है। इस संबंध में विशेषज्ञों की राय है कि कुत्तों सहित अन्य जानवरों पर किए गए परीक्षणों के परिणाम से यह नहीं कहा जा सकता कि मनुष्यों पर भी इसके प्रभाव सही आएंगे इससे मानवीय बीमारियों के लिए प्रभावी उपचार की मंजूरी में देरी होती है।
अपने पत्र में, PETA इंडिया ने बताया कि बेघर कुत्तों का उपयोग करने की सिफारिश जानवरों के प्रजनन और प्रयोग (नियंत्रण और पर्यवेक्षण) संशोधन नियम, 2006 के नियम 10 के तहत भारत सरकार द्वारा CCSEA को सौंपे गए कर्तव्यों का उल्लंघन है, जिसके अंतर्गत, दुर्लभ परिस्थितियों को छोड़कर, “एक प्रतिष्ठान केवल पंजीकृत प्रजनकों से प्रयोगों हेतु जानवरों का अधिग्रहण करेगा”। पत्र में कहा गया है कि CCSEA की सिफारिश यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपनाई गई नीतियों के बिल्कुल विपरीत है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के प्रतिस्पर्धी हैं।
वैक्सीन, दवाओं और उपचार के प्रति मानव प्रतिक्रियाओं को प्रिडिक्ट करने के लिए बेघर कुत्तों और अन्य जानवरों का उपयोग करने वाले परीक्षणों पर निर्भरता वैज्ञानिक रूप से अनुचित है और नैतिक आधार पर बेहद परेशान करने वाली है।