‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ से पहले महिलाओं ने मुर्गियों की पीड़ा दर्शाने के लिए स्वयं को पिंजरों में बंद करके प्रदर्शन किया
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर, गोवा में महिलाओं ने अंडा फार्मों में जीवन व्यतीत करने वाली मुर्गियों की पीड़ा दर्शाने के लिए खुद को पिंजरों में बंद करके प्रदर्शन किया। PETA इंडिया के इन समर्थकों का लक्ष्य जनता को यह याद दिलाना है कि अंडों के लिए पाली गई मुर्गियां अपना पूरा जीवन इतने छोटे पिंजरों में बिताती हैं जहां वे अपना एक पंख तक नहीं फैला पाती।
अंडा उद्योग में, मुर्गियों को हर साल 300 से अधिक अंडे देने के लिए मज़बूर किया जाता है, जो कि इनके पूर्वजों द्वारा अपने प्राकृतिक परिवेश में प्रति वर्ष दिए जाने वाले 15 अंडों से कहीं अधिक है। इस वजह से, ये अक्सर ऑस्टियोपोरोसिस, संक्रमण, ओवरियन कैंसर और प्रजनन ट्यूमर से पीड़ित होती हैं, और कई अंडे इनके अंदर फंस भी जाते हैं। अपने प्राकृतिक परिवेश में एक मुर्गी का जीवन लगभग 10 वर्ष तक का होता है। अंडा फार्म पर कोई मुर्गी अगर गंदगी और भीड़-भाड़ वाली परिस्थितियों में दो वर्ष तक जीवित बच भी जाती हैं तो उसका शरीर पूरी तरह से ख़राब हो जाता है। जब किसी मुर्गी में अंडे देने की क्षमता घट जाती है तो उसे बेकार मानकर बूचड़खाने में भेज दिया जाता है या फिर उन्हें ट्रकों में ठूस-ठूस कर माँस के लिए पशु माँस मंडियों में भेज दिया जाता है, जहां सचेत अवस्था रहने के दौरान ही उसका गला काट दिया जाता है।
वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति मुर्गियों सहित अन्य पशुओं को अत्यधिक पीड़ा से बचाने के साथ-साथ अपने कार्बन फुटप्रिंट को भी व्यापक स्तर पर कम करता है और स्वयं के लिए कई गंभीर बीमारियों के ख़तरे को कम करता है। मनुष्यों हेतु पशुओं से प्राप्त खाद्य पदार्थ के सेवन की कोई पोषण संबंधी आवश्यकता नहीं है। भोजन एवं पोषण की दुनिया के सबसे बड़े संगठन, ‘एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स’ के विशेषज्ञों के अनुसार, वीगन भोजनशैली अपनाने वाले लोगों में इस्केमिक हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कई प्रकार के कैंसर और मोटापे का खतरा कम पाया गया है।
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