PETA इंडिया की कार्यवाही के परिणामस्वरूप त्रिपुरा में अवैध रूप से बंदी बनाई गयी हथिनी और उसके बच्चे को उपचार और पशु चिकित्सकीय देखभाल के लिए भेजा गया
PETA इंडिया और माननीय सांसद श्रीमती मेनका संजय गांधी जी के गहन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) ने सिफारिश करी कि 55 वर्षीय प्रतिमा नामक हथिनी और उसके बच्चे को इस हथिनी द्वारा वर्षों की गंभीर उपेक्षा के कारण हुई गंभीर शारीरिक बीमारियों के इलाज़ के लिए जामनगर के वंतारा स्थित हाथी केंद्र मेंस्थानांतरित किया जाए। इस हथिनी की दयनीय स्थिति की जानकारी एक दयालु त्रिपुरा निवासी द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से साझा की गयी थी और इस हथिनी को सहायता प्रदान करने की अपील भी करी गयी थी। इस अपील के परिणामस्वरूप, अब यह हथिनी अपने बचे हुए जीवन को वंतारा में अन्य हाथियों की संगति में शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत करेंगी, जहां उसकी देखभाल के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
Illegal is legal in @tripura_cmo
Elephant is being smuggled and getting licence to torture them.Pregnant elephant is severely tortured and is in severe pain.
Need to rescue her.@_anantambani @Girijeshv @sudhirchaudhary @Tripura_Police @ProtectWldlife @asharmeet02 @PetaIndia pic.twitter.com/0oQFdlVCIA— Punita Sharma (@PunitaS44575106) April 14, 2024
आगे की पूछताछ से पता चला कि प्रतिमा और उसके बच्चे को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA) 1972 की धारा 42 का उल्लंघन करते हुए त्रिपुरा के उनाकोटी में एक व्यक्ति द्वारा स्वामित्व प्रमाण पत्र के बिना अवैध रूप से रखा जा रहा था जो कि WPA, 1972 की धारा 51 के तहत पूर्ण रूप से अवैध है। पशुचिकित्सकीय परीक्षण से पता चला कि प्रतिमा की शारीरिक हालत बहुत गंभीर थी, वह बहुत पतली हो गयी थी और उसके शरीर पर कई फोड़े हो गए थे। उसका पीछे वाला बायां पैर बहुत सूज गया था और वह उस पर वजन सहन करने में असमर्थ थी और लंगड़ा कर चल रही थी। उसके पेट में भी कई गंभीर चोटें आई थीं और वह गहन कमजोरी से पीड़ित थी जिसके कारण उसकी रीढ़ की हड्डी झुक गई थी। उसकी महत्वपूर्ण दीर्घकालिक पशु चिकित्सकीय आवश्यकताओं और उसके बछड़े के बंधन और उस पर निर्भरता को ध्यान में रखते हुए, हाथी अब वंतारा के अत्याधुनिक हाथी अस्पताल में पहुँचने वाली है।
प्रतिमा जैसे बंदी हाथियों को आम तौर पर हथियारों से नियंत्रित किया जाता है और कंक्रीट पर जंजीर से बांध कर रखा जाता है। इन पशुओं को अक्सर शारीरिक कष्ट, प्यास एवं भुखमरी और अन्य प्रकार के शोषण का सामना करना पड़ता है। जब इन पशुओं का प्रदर्शन हेतु उपयोग नहीं किया जाता तो इन्हें बेहद भयानक परिस्थितियों में जंजीरों या पिंजरों में कैद रखा जाता है।
क्रूर प्रदर्शनों हेतु हाथियों के प्रयोग पर रोक लगवाने में हमारी सहायता करे