आमेर के किले में हाथी के हमले की नई घटना सामने आने के बाद, PETA इंडिया ने एक बार फिर पशुओं के स्थान पर मोटर चालित गाड़ियों को लाने का आह्वान किया
आमेर के किले में गौरी नामक एक मानसिक रूप से प्रताड़ित हथिनी द्वारा एक दुकानदार पर हमले करके उसकी पसलियां तोड़ने एवं उसे गंभीर रूप से चोटिल करने और एक रूसी पर्यटक पर हमला करके उसका पैर तोड़ने की घटना के बाद, PETA इंडिया को अब आमेर के किले में एक नए हमले का वीडियो फुटेज प्राप्त हुआ है जिसमें एक हाथी को दूसरे हाथी पर हमला करते हुए देखा जा सकता है। दिनांक 5 मार्च की इस CCTV फुटेज में सवारी कराके लौट रहे एक हाथी को, पर्यटकों को सवारी करा रहे दूसरे हाथी को कई बार दीवार की तरफ खतरनाक तरीके से धकेलते देखा जा सकता है। वर्ष 2019 में भी, 44 और 74 नामक दो हाथियों के बीच इसी तरह का विवाद हुआ था, जिस दौरान इन दोनों हाथियों के ऊपर पर्यटक सवार थे।
PETA इंडिया ने राजस्थान की उपमुख्यमंत्री सह पर्यटन, कला और संस्कृति एवं पुरातत्व और संग्रहालय मंत्री दीया कुमारी जी को एक पत्र लिखकर इस हाथी और गौरी नामक हथिनी के पुनर्वास के साथ-साथ हाथी की सवारी को तात्कालिक रूप से पर्यावरण-अनुकूल मोटर चालित गाड़ियों से बदलने का अनुरोध किया है, जैसा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ‘हाथी प्रभाग’ परियोजना द्वारा गठित समिति की एक रिपोर्ट में भी सिफारिश की गई थी।
अंबर पैलेस के अधीक्षक कार्यालय द्वारा 6 मार्च को जारी एक पत्र के अनुसार, हमला करने वाले हाथी की सवारी पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गयी है। लेकिन पत्र में – ‘कमला’ और ‘लक्ष्मी’ हथिनियों के नाम का उल्लेख किया गया है जो कि घटना में शामिल हाथियों के माइक्रोचिप और सवारी संख्या से मेल नहीं खाते हैं जबकि ‘कमला’ नामक हथिनी की कुछ समय पहले मृत्यु हो गई है। इससे यह साबित होता है कि आमेर के किले के प्रशासन के पास हाथियों के नाम या माइक्रोचिप एवं सवारी संख्या को उचित रूप से सत्यापित करने के लिए कोई रिकॉर्ड या तरीका नहीं है और किले में सही और विश्वसनीय जानकारी के बिना, अवैध रूप से पकड़े गए हाथियों का उपयोग किया जा सकता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2023 में, आमेर के किले में सवारी के लिए इस्तेमाल किए गए लगभग 50% यानि 79 में से 38 हाथियों के पास वैध स्वामित्व प्रमाण पत्र नहीं थे। राजस्थान वन विभाग द्वारा कथित तौर पर हाथियों का अवैध शिकार करने के आरोप में हाथी पालकों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
राजस्थान में लगभग 100 हाथियों को बंदी बनाकर रखा गया है, जिनमें से अधिकांश का उपयोग सवारी, शादियों और फिल्मों के लिए किया जाता है। इन पशुओं के पास वैध प्रमाण पत्र या भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड का अनुमति पत्र नहीं है, जो राज्य को अवैध वन्यजीव तस्करी का केंद्र बनाता है। आमेर के किले में हाथियों द्वारा इंसानों पर हमला करने के उपरांत इन्हें दंड स्वरूप मार-पीट एवं शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है, जिससे यह पशु और अधिक निराश एवं मानसिक क्षति का सामना करते हैं। इसके अलावा, इनमें से कई हाथियों में तपेदिक (टी.बी.) की बीमारी पायी जाती है जो हाथियों के माध्यम से इंसानों में भी फैल सकती है। PETA इंडिया द्वारा यह तथ्य पहले भी प्रकाशित किया गया है कि आमेर के किले में तपेदिक (टी.बी) से ग्रसित हाथियों का भी सवारी हेतु प्रयोग किया जाता है।
राजस्थान में सवारी हेतु हाथियों का प्रयोग कई कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है जिसमें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम, 2001; और राजस्थान सरकार का वर्ष 2010 का एक परिपत्र, जिसमें प्रदर्शनों में उपयोग किए जाने वाले हाथियों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया था, शामिल है।
आमेर के किले में हाथियों की क्रूर सवारियों का समाप्त करें