ज़ीनत अमान, जॉन अब्राहम, सोनाक्षी सिन्हा सहित कई मशहूर हस्तियों ने PETA इंडिया के साथ मिलकर हाथी संरक्षण के हित में आवाज़ उठाई
PETA इंडिया द्वारा, ‘मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय’ को एक याचिका सौंपी गयी है, जिसमें हाथियों को उन जंगली पशुओं की सूची में जोड़ा जाए जिनका सवारी और अन्य प्रदर्शनों में उपयोग किया जाना प्रतिबंधित है। इस याचिका को मशहूर अभिनेता जॉन अब्राहम, ज़ीनत अमान, जैकी श्रॉफ, रवीना टंडन, सोनाक्षी सिन्हा, फराह खान, जैकलीन फर्नांडीज, शिल्पा शेट्टी कुंद्रा, ऋचा चड्ढा, सनी लियोन, अदा शर्मा, राहुल खन्ना, वामिका गब्बी, पलक तिवारी और मलायका अरोड़ा द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है। इन सभी मशहूर हस्तियों का कहना है कि हाथी भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु एवं एक लुप्तप्राय प्रजाति है, जिसके बावजूद इसे ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के तहत भालू, बंदर, बाघ, तेंदुआ और शेर के समान सुरक्षा नहीं प्रदान करी गयी है। यह उल्लेखनीय है कि इस सूची में शामिल पशुओं के प्रदर्शन हेतु उपयोग पर वर्ष 1998 से रोक लगाई जा चुकी है।
जॉन अब्राहम ने कहा, “एक अभिनेता के तौर पर मैं अपनी स्वयं की इच्छा से प्रदर्शन एवं अभिनय करता हूँ, लेकिन हाथी ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें मारपीट कर जबरन ऐसा करने के लिए ‘प्रशिक्षित’ किया जाता है। जब वह सवारी या इंसानों के अन्य मनोरंजन के लिए असहज करतब दिखाने के लिए इस्तेमाल नहीं किए जाते तब उन्हें जंजीरों में कैद रखा जाता है। प्रदर्शनों हेतु हाथियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से यह पशु अपना जीवन जंगलों में अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत कर पाएंगे।“
सोनाक्षी सिन्हा ने कहा, “पशुओं के प्रति सम्मान भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।हाथियों को सवारी कराने और करतब दिखाने के लिए मजबूर करने के लिए उन्हें जंजीर से बांधकर मारना-पीटना हमारी सभी सजीव प्राणियों के प्रति दयालुतावादी भारतीय संस्कृति का अपमान है।“
ऋचा चड्ढा ने कहा, “हाथियों का प्राकृतिक घर जंगल है न कि जंजीरे। वे इंसानों द्वारा दी जाने वाली पीड़ा और शोषण से मुक्त होकर अपने परिवारों के साथ रहने के पूर्ण हक़दार हैं।“
सवारी और अन्य प्रदर्शनों के लिए उपयोग किए जाने वाले हाथियों को अक्सर मार पीटकर प्रशिक्षित किया जाता है और अंकुश जैसे धारदार हथियारों से यातना देकर नियंत्रित किया जाता है। जब इन पशुओं का प्रदर्शनों हेतु उपयोग नहीं किया जाता तो इन्हें जबरन जंजीरों में बांधकर रखा जाता है। इन्हें पर्याप्त भोजन, पानी, या पशु चिकित्सकीय देखभाल की सुविधा से वंचित रखा जाता है, और वर्षों तक जंजीरों से बंधे रहने और कठोर कंक्रीट सतहों पर एक ही स्थिति में खड़े रहने से आमतौर पर पैरों की दर्दनाक और अपंगता वाली बीमारियाँ और गठिया जैसी हड्डी और जोड़ों की बीमारियाँ होती हैं। यह पशु आमतौर पर गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट से भी पीड़ित रहते हैं जिसके लक्षण इनके व्यवहार में साफ दिखाई देते हैं जैसे सिर को गोल गोल हिलना, सिर पटकना, या फिर सिर को आगे पीछे की स्थिति में डुलाना शामिल है। निराशा व हताशा के शिकार यह कैदी हाथी आमतौर पर अपने आसपास के लोगों पर हमला भी करते हैं।
हेरिटेज एनिमलटास्क फोर्स के अनुसार 2007 से जुलाई 2024 तक, केरल में मंदिर के जुलूसों पर बंदी हाथियों के हमलों के कारण 540 लोग मारे गए हैं। पिछले 2 वर्षों में ही ऐसी घटनाओं में 742 लोग घायल हुए हैं।
ट्रिप एडवाइजर, इंट्रेपिड ट्रैवल और TUI ग्रुप जैसे वैश्विक ऑपरेटरों सहित सौ से अधिक ट्रैवल कंपनियों ने हाथियों का शोषण करने वाली गतिविधियों का प्रचार-प्रसार और इनका समर्थन न करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
क्रूर प्रदर्शनों हेतु हाथियों के उपयोग पर रोक लगवाने में हमारी सहायता करें