आगरा: PETA इंडिया की कार्रवाई के बाद, कुत्तों पर एसिड हमला करने के मामले में दर्ज़ FIR में कड़े कानूनी प्रावधानों को शामिल किया गया

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया की कार्रवाई के परिणामस्वरूप, यह सुनिश्चित किया गया कि चार सामुदायिक कुत्तों पर एसिड हमले की भयावह घटना (जिसमें एक कुत्ते की मौत हो गई थी और तीन अन्य कुत्ते गंभीर रूप से घायल हो गए थे) के खिलाफ़ 18 अगस्त को दर्ज़ करी गयी FIR में सभी प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों को जोड़ा जाएं जिससे सभी पीड़ित कुत्तों को उचित न्याय दिलाया जा सके। PETA इंडिया द्वारा नाई की मंडी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया गया था कि संबंधित FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 325 को शामिल किया जाए। मामले में घायल कुत्तों का इलाज़ जारी है और उन्हें एक स्थानीय गैर-सरकारी संगठन कैस्पर होम ट्रस्ट में रखा गया है।

 

इस मामले के शुरुआती दौर में, कैस्पर होम ट्रस्ट की श्रीमती विनीता अरोड़ा की शिकायत के बाद पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(l) के तहत एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। इसके बाद, PETA इंडिया के गहन परिश्रम के उपरांत, मामले में दर्ज़ FIR में BNS 2023 की धारा 325 को भी जोड़ा गया। इस प्रावधान के अंतर्गत किसी भी पशु को शारीरिक क्षति पहुंचाना या उन्हें जान से मारना एक संज्ञेय अपराध है जिसके खिलाफ़ पांच साल तक की जेल की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक कुत्ते पर एसिड फेंकने के जुर्म में अपराधी को एक साल की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में कोर्ट ने कहा, “ऐसे व्यक्ति को कम सज़ा देकर छोड़ देना और दोषी को कोई रियायत देने से समाज में एक नकारात्मक संदेश जाएगा।“

PETA इंडिया पशुओं पर क्रूरता करने वाले अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल  में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।“

PETA इंडिया देश के ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। यह कानून और इसके दंड प्रावधान बहुत पुराने और अप्रासंगिक है, जैसे इसके अंतर्गत पहली बार पशुओं पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है (जबकि BNS, 2023 के अंतर्गत सख्त प्रावधानों का निर्धारण किया गया है)। PETA इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर PCA अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु क्रूरता के खिलाफ़ कठोर दंड प्रावधानों की सिफारिश की है।

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पशु क्रूरता के खिलाफ़ कुछ महत्वपूर्ण कदम