शिक्षक दिवस के अवसर पर ‘कुत्ते’ और ‘बिल्ली’ बने प्रोफेसर्स ने अनोखे अंदाज में जनता को ABC यानि “पशु जन्म नियंत्रण” का संदेश दिया
शिक्षक दिवस (5 सितंबर) से ठीक पहले, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और आश्रय फाउंडेशन के दो समर्थक कुत्ते और बिल्ली की विशाल पोशाक पहनकर और हाथ में संदेश लिखा बोर्ड पकड़ कर चंडीगढ़ की जनता को ABC (Animal Birth Control) यानि पशु जन्म नियंत्रण के महत्व का संदेश देंगे। इस रोचक प्रदर्शन में एक नन्हाँ कुत्ता प्रोफेसर के रूप में और एक नन्ही बिल्ली टीचर के रूप में जनता को यह संदेश देंगे कि अपने साथी पशुओं की नसबंदी कराकर उन्हें एक लंबा एवं स्वस्थ्य जीवन प्रदान किया जा सकता है और यह पशु बेघरी की समस्या का सबसे प्रभावी समाधान है।
पूरे भारत में, 60 मिलियन से अधिक बेघर कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से कई पशुओं को रोज़ भूखमरी का सामना करना पड़ता है, लोगों द्वारा मारा-पीटा जाता है या मौत के घाट उतारा जाता है। इन पशुओं के चलती सड़क पर गाड़ी से चोट लगने का ख़तरा बना रहता है, या यह अन्य तरीकों से दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। इसके अलावा 88 लाख पशुओं को अच्छे घरों की कमी के कारण पशु आश्रय घरों में भेज दिया जाता है। इस समस्या का सीधा समाधान ABC है यानि पशु जन्म नियंत्रन । जिन पशुओं की नसबंदी कराई जाती है वो लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीते हैं और उनमें रिप्रोडक्टिव सिस्टम के कैंसर के ख़तरे में कमी एवं मादा पशुओं के मामले में, उनके भटकने, लड़ने या काटने की संभावना कम हो जाती है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायत जैसे संबंधित स्थानीय निकायों को सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया कुत्ते और बिल्ली के अभिभावकों को भी अपने साथी जानवरों की नसबंदी करवाने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि पहले से ही पैदा हुए कई बच्चों को एक प्यारभरा अच्छा घर मिल सके एवं वह सभी एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके।