पालघर हाउसिंग सोसाइटी के सुरक्षा गार्ड द्वारा बेघर कुत्ते की भयानक हत्या के मामले में दर्ज़ FIR में BNS के कड़े प्रावधानों को जोड़ा गया
एक कॉलोनी के पशु देखभालकर्ता द्वारा एक सामुदायिक कुत्ते को पीट-पीटकर मौत के घाट उतारने की परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आने के बाद, PETA इंडिया की कार्रवाई के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि मामले में 26 अगस्त को दर्ज़ करी गयी FIR में सभी प्रासंगिक कड़े प्रावधानों को जोड़ा जाएं ताकि दोषी को इस गहन क्रूरता के खिलाफ़ कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके। PETA इंडिया ने नालासोपारा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि संबंधित FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 325 को शामिल किया जाए। श्री पंकज सिंह के खिलाफ शुरू में पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(a) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन उसमें इन प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया था। PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, अब इस FIR में BNS 2023 की धारा 325 जैसे कड़े प्रावधान को भी शामिल कर लिया गया है।
इस प्रावधान के अंतर्गत किसी भी पशु को शारीरिक क्षति पहुंचाना या उसे जान से मारना एक संज्ञेय अपराध है जिसके खिलाफ़ पांच साल तक की जेल की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। PCA अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) के तहत कुत्तों को लाठियों से डराना, उनका पीछा करना या उनपर पत्थर फेंकना पशुओं के प्रति क्रूरता का एक स्वरूप है और इस धारा के अंतर्गत पशुओं को अनावश्यक दर्द और पीड़ा पहुंचाने पर रोक लगाई गयी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 24 अप्रैल 2023 कोपारोमिता पुथरन बनाम ग्रेटर मुंबई नगर निगम संबंधित मामले में अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा गार्डों की ऐसी हरकतें पशुओं के लिए क्रूर और हानिकारक हैं। अदालत ने समाज को इस तरह के व्यवहार के बारे में शिकायतों को संबोधित करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया एवं यह पुष्टीकरण दिया कि पशुओं के प्रति क्रूरता अस्वीकार्य है और संवैधानिक एवं वैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है। कोर्ट द्वारा आगे उल्लेखित किया गया कि, “बेघर कुत्तों से नफरत करना और उनके साथ क्रूरता से पेश आना किसी भी सभ्य समाज का लक्षण नहीं है, क्योंकि यह संवैधानिक लोकाचार और वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।“
PETA इंडिया पशुओं पर क्रूरता करने वाले अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं।फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।“
PETA इंडिया ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। यह कानून और इसके दंड प्रावधान बहुत पुराने और अप्रासंगिक है, जैसे इसके अंतर्गत पहली बार पशुओं पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है (जबकि BNS, 2023 के अंतर्गत सख्त प्रावधानों का निर्धारण किया गया है)। PETA इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर PCA अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु क्रूरता के खिलाफ़ कठोर दंड प्रावधानों की सिफारिश की है।