कर्नाटक के मंत्री श्री रामलिंगा रेड्डी, विधायक डॉ. रंगनाथ, और सम्युक्ता हॉर्नड ने येदियुर स्थित ‘श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी मंदिर’ में यांत्रिक हाथी के उद्घाटन का समर्थन किया जो यांत्रिक हाथी अपनाने वाला देश का पहला सरकारी मंदिर बना

Posted on by Erika Goyal

कर्नाटक के माननीय मुजराई और परिवहन मंत्री, श्री रामलिंगा रेड्डी, कुनिगल के विधायक डॉ. रंगनाथ और अभिनेत्री सम्युक्ता हॉर्नड के समर्थन से अखिल भारतीय महिला कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक महिला कांग्रेस अध्यक्ष सौम्या रेड्डी ने ‘निरंजना’ नामक एक यांत्रिक हाथी का उदघाटन किया। यह निर्णय मंदिर द्वारा भविष्य में कभी भी जिंदा हाथियों का प्रयोग न करने के दयालु फैसले के बाद लिया गया है। श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी मंदिर इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने वाला देश का पहला सरकार नियंत्रित मंदिर बन गया है। निरंजना का उपयोग मंदिर समारोहों को सुरक्षित एवं क्रूरता-मुक्त तरीके से आयोजित करने के लिए किया जाएगा, जिससे असली हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ रहने में मदद मिलेगी। आज मंदिर में एक उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया, जिसके बाद मंगला वाद्य  की प्रस्तुति हुई। निरंजना को सम्युक्ता हॉर्नड और कंपैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन (CUPA) एवं PETA इंडिया नामक दो गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मंदिर को उपहार स्वरूप दिया गया है।

 

कर्नाटक के परिवहन और मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, “तकनीकी नवाचार से हम अपनी गहरी सांस्कृतिक परंपराओं और विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ लुप्तप्राय हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में अपने परिवारों के साथ रहने का मौका प्रदान कर सकते हैं। इस यांत्रिक हाथी का अनावरण करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है, जो भक्तों को त्योहारों और अनुष्ठानों में सुरक्षित और पशु-अनुकूल तरीके से भाग लेने में सहायता करेगा।”

 

कुनिगल विधायक  डॉ. रंगनाथ ने कहा, “हमारे शहर का श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी मंदिर एक यांत्रिक हाथी का स्वागत करने वाला देश का पहला सरकारी मंदिर है, जो कि हमारे लिए बहुत ही गर्व एवं उल्लास का विषय है। मुझे बहुत खुशी है कि अब हमारे भक्तों को सुरक्षित तरीके से भगवान गणेश की पूजा करने का अवसर मिलेगा और मैं पशु संरक्षण प्रयासों का खुले दिल से समर्थन करता हूँ।”

 

सम्युक्ता हॉर्नाड ने कहा, “इस दयालु विकल्प के माध्यम से लुप्तप्राय हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ रहने का मौका मिलेगा और यह मनुष्यों के भविष्य के लिए भी एक अच्छा निर्णय है। इससे हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को कोई चोट नहीं पहुंचेगी बल्कि हाथियों को जंजीरों एवं दुख और पीड़ा से छुटकारा मिलेगा। किसी सरकारी मंदिर में भारत के पहले यांत्रिक हाथी को दान देने के लिए  कर्नाटक सबसे उपयुक्त राज्य है क्योंकि यहां भारत का सबसे बड़ा टेक हब बेंगलुरु स्थित है। मुझे CUPA और PETA इंडिया के साथ मिलकर यह यांत्रिक हाथी दान करते हुए अत्यंत खुशी की अनुभूति हो रही है।”

 

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव सौम्या रेड्डी ने कहा, “एक लंबे समय से पशु संरक्षण समर्थक और पर्यावरणविद् के रूप में, मुझे श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में यांत्रिक हाथी निरंजना के स्वागत के उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनकर बहुत खुशी हो रही है। हमारी पृथ्वी एवं पशु संरक्षण के हित में यह अत्यंत आवश्यक है कि हाथियों को उनके प्राकृतिक आवासों यानि जंगलों में शांतिपूर्ण ढंग से रहने दिया जाएं क्योंकि यह पशु प्राकृतिक रूप से बीजों का फैलाव करने के साथ-साथ, जंगलों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को संतुलित रखते हैं और जंगलों का वातावरण संधारित रखते हैं।”

 

CUPA की ट्रस्टी सुपर्णा गांगुली ने कहा, “CUPA को सम्युक्ता होर्नाड और PETA इंडिया के साथ मिलकर इस यांत्रिक हाथी को मंदिर को उपहार स्वरूप देकर बहुत खुशी हो रही है। हम आशा करते हैं कि यह हमारे प्रतिष्ठित संस्थानों में ऐसी कई पहलों की शुरुआत होगी, जहां भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और हाथियों को जंगलों में अपना जीवन व्यतीत करने कि पूर्ण आज़ादी होगी। हम माननीय मंत्री जी से प्राप्त समर्थन के भी अत्यंत आभारी हैं।”

 

हाथी जंगल में रहने वाले बेहद समझदार, सक्रिय और मिलनसार पशु होते हैं। प्रदर्शनों हेतु उपयोग करने के लिए इन कैदी पशुओं का मानसिक मनोबल मार-पीटकर और विभिन्न प्रकार की यातनाएँ देकर पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाता है । मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाकर रखे गए हाथियों को जंजीरों से जकड़कर घंटों तक कंक्रीट की ज़मीन पर खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता है जिस कारण उन्हें पैरों के दर्दनाक घावों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से अधिकांश पशुओं को पर्याप्त भोजन, पानी, पशु चिकित्सकीय देखभाल और प्राकृतिक परिवेश से वंचित रखा जाता है। इस प्रकार की दयनीय परिस्थितियों के चलते कई हाथी अत्यधिक निराशा का सामना करते हैं और हमला करके अपने महावत या आसपास के लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। ‘हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स’ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केरल में बंधी हाथियों ने पिछले 15 साल की अवधि में 526 लोगों की जान ली है। केरल में विशेष अवसरों पर सबसे ज़्यादा उपयोग होने वाले थेचिक्कोट्टुकावु रामचंद्रन नामक लगभग 40 वर्षों से बंधक हाथी ने कथित तौर पर 13 जनों को मौत के घाट उतारा है जिसमें छह महावत, चार महिलाएं और तीन अन्य हाथी शामिल हैं।

PETA इंडिया हाथियों का उपयोग करने वाले सभी स्थानों और कार्यक्रमों को वास्तविक हाथियों की बजाय रोबाटिक हाथियों या अन्य विकल्पों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। PETA इंडिया द्वारा पहले भी चार मंदिरों को धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या अन्य पशुओं को इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा के बाद यांत्रिक हाथी दान किए गए हैं। इनमें अभिनेत्री पार्वती थिरुवोथु द्वारा समर्थित त्रिशूर के इरिंजडापिल्ली श्री कृष्ण मंदिर में इरिंजडापिल्ली रमन, अभिनेत्री प्रियामणि द्वारा समर्थित कोच्चि के थ्रीक्कयिल महादेव मंदिर में महादेवन; अभिनेता ऐंद्रिता रे और दिगंत मनचले द्वारा समर्थित मैसूर के जगद्गुरु श्री वीरसिम्हासन महासंस्थान मठ में शिवा और अभिनेत्री अदा शर्मा द्वारा समर्थित तिरुवनन्तपुरम के पौर्णमिकवु मंदिर में बालाधासन नामक हाथी शामिल हैं। चौथा, शंकर हरिहरन, गुडलुर में श्री शंकरन मंदिर में उपयोग किया जाता है, जिसे एक अन्य NGO द्वारा दान किया गया है।

श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी मंदिर एक प्राचीन मंदिर और एक प्रतिष्ठित तीर्थस्थल है जो श्री सिद्धलिंगेश्वर स्वामी को समर्पित है, जिन्हें मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव का अवतार माना जाता है। मंदिर में 15वीं सदी के श्रद्धेय लिंगायत संत श्री टोंटाडा सिद्धलिंग की निर्विकल्प शिवयोग समाधि भी है। यह पूजनीय स्थल एक वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति है जो प्राचीन कर्नाटक की जटिल शिल्प कौशल और वास्तुशिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। यह मंदिर अपने गहरे आध्यात्मिक परिवेश के लिए जाना जाता है और यहाँ सालाना हजारों भक्त और पर्यटक दर्शन करने आते हैं। अपने समृद्ध इतिहास, श्रेष्ठ वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के कारण यह मंदिर शांतिप्रिय और सांस्कृतिक संवर्धन में रुचि रखने वाले लोगों के लिए बेहद दर्शनीय है।

 

हाथियों को क्रूर प्रदर्शनों से बचाने हेतु सहायता करें