कोलकाता पुलिस ने व्यस्त फ्लाईओवर पर घायल घोड़ी मिलने के बाद FIR दर्ज की; PETA इंडिया ने घोड़ागाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का आह्वान किया
अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान, हेस्टिंग्स से कोलकाता के एस्प्लेनेड की ओर जाने वाले व्यस्त फ्लाईओवर पर एक घायल घोड़ी को लंगड़ाते हुए देखा गया था जिसके खिलाफ़ PETA इंडिया के एक समर्थक की शिकायत के जवाब में हेस्टिंग्स पुलिस स्टेशन में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई। यह घोड़ी पूरी तरह से कुपोषित और उपेक्षित थी, इसकी चाल असामान्य थी, उसके फ्लेक्सर टेंडन में सूजन थी और उसके पिछले पैर पर खुला घाव था। यह FIR ‘पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के तहत दर्ज की गई थी। हालांकि, घोड़ी को अभी तक पुलिस ने जब्त नहीं किया है। PETA इंडिया पुलिस से अपील करती है कि वह घोड़े की भलाई सुनिश्चित करने के लिए जल्दी से घोड़े को ढूंढे जिससे इसे ट्रेफिक में बेमौत मरने से रोका जा सके।
PETA इंडिया के समर्थक द्वारा वीडियो साक्ष्य और प्रत्यक्षदर्शी बयान के साथ शिकायत प्रस्तुत करने के बाद BNS की धारा 291, 325, 62 और 3(5) तथा PCA अधिनियम की धारा 3 और 11(1)(ए) और (एच) के तहत FIR दर्ज की गई है। PETA इंडिया संबंधित मामले में, FIR दर्ज करने के लिए पुलिस की सराहना करता है, जिससे कोलकाता के शिकारपुर स्थित एक अभयारण्य में घायल घोड़ी के बचाव और पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त हुआ, जहां उसे आवश्यक पशु चिकित्सकीय देखभाल मिल सकती है।
PETA इंडिया ने चेतावनी दी है कि हेस्टिंग्स फ्लाईओवर के नीचे के क्षेत्र का उपयोग अवैध रूप से पर्यटकों की गाड़ियों को चलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई घोड़ों को रखने के लिए किया जाता है। इन घोड़ों को उनके अपने मल-मूत्र और भारी यातायात के बीच बांधकर खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता है। इस घोड़ी की दुर्दशा इस क्षेत्र में घोड़ों के साथ होने वाले शोषण एवं जूनोटिक रोगों के संभावित प्रसार को उजागर करती है।
PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन द्वारा प्रलेखित जानकारी से पता चलता है कि हाल के महीनों में, कोलकाता में कम से कम आठ घोड़ों की मौत हो चुकी है । विभिन्न जांचों के माध्यम से, शहर में दर्जनों घोड़ों में एनीमिया, कुपोषण, लंबे समय तक भूख और अक्सर टूटी हुई हड्डियों जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पाई गई हैं। इन पशुओं को कठोर सड़कों पर काम करने से पैरों की गंभीर समस्याएँ होने के बावजूद, भारी गाड़ियाँ खींचने के लिए मजबूर किया जाता है। जब यह पशु काम नहीं कर रहे होते हैं, तब भी इन्हें कोई राहत नहीं मिलती है, क्योंकि इन्हें किसी प्रकार की छाया के बिना अपने ही मल-मूत्र में खड़े रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
हाल ही में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोलकाता के मैदान और अन्य जगहों पर घोड़ों के खराब स्वास्थ्य के कारण उनके गिरने की घटनाओं को गंभीरता से लिया। न्यायालय ने शहर में बिना लाइसेंस वाली पशु गाड़ियों के बड़े पैमाने पर प्रचलन और बीमार एवं अयोग्य घोड़ों को उनके अभिभावकों द्वारा लावारिस छोड़ देने जैसे अन्य मुद्दों पर भी ध्यान दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को घोड़ों के मालिकों के पुनर्वास और उन्हें घोड़ा-गाड़ियों के बजाय एक वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव विकसित करने का निर्देश दिया ताकि “मुंबई की तरह घोड़ों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों को हटाने पर विचार किया जा सके और इसकी व्यवहार्यता की जांच की जा सके।”
PETA इंडिया ने पश्चिम बंगाल में अधिकारियों से बार-बार अनुरोध किया है कि घोड़ों को और अधिक कष्ट न दिया जाए तथा शहर में गाड़ियों को खींचने के लिए घोड़ों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका पर भी काम कर रही है।