PETA इंडिया के समर्थकों ने हैलोवीन से पहले कंकाल बनकर ‘चमड़े का अंत हो चुका है’ का संदेश दिया

Posted on by Shreya Manocha

हैलोवीन से ठीक पहले, PETA इंडिया के तीन समर्थकों ने ग्रीम रीपर (कंकाल)  की वेशभूषा पहनकर गोवा स्थित मांडोवी रिवर प्रोमेनेड के सामने प्रदर्शन किया और जनता को चमड़े के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। वे “चमड़ा मर चुका है” संदेश लिखे हुए हंसिया के साथ “चमड़े को मौत की सज़ा” देते हुए चमड़े के जूते, बैग, बेल्ट और जैकेट को एक चेन से खींचते हुए नज़र आएं।

गाय, भैंस और चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं को इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियों में ठूंस-ठूंसकर  भरा जाता है कि अक्सर रास्ते में ही इनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। इतना कष्ट सहने के बावजूद भी जिन पशुओं की जान बच जाती है, बूचड़खाने में उन जिंदा पशुओं के कसाइयों द्वारा खुलेआम टुकड़े-टुकड़े किए जाते हैं और उनकी खाल उतारी जाती है। चमड़े के कारखानों (टेनरियों) से निकलने वाला जहरीला पानी नदियों और नालों को प्रदूषित करता है, जिससे उसके आसपास रहने वाले सभी पशुओं एवं मनुष्यों को नुकसान पहुंचता है। चमड़ा कारखानों (टेनरियों) के श्रमिकों में कैंसर, श्वसन संक्रमण सहित कई गंभीर बीमारियों के लक्षण पाए  जाते हैं।

 

देशभर की लगभग सभी प्रमुख जूते और कपड़ों की दुकानों पर वीगन चमड़े एवं अन्य पशु-अनुकूल सामग्री के विकल्प उपलब्ध हैं। ‘PETA-अनुमोदित वीगन’ प्रमाणन, चमड़े, रेशम, ऊन, फर और पंख जैसे जानवरों से प्राप्त सामग्री के बजाय वीगन सामग्री से बने हैंडबैग, जूते, कपड़े, सहायक उपकरण, फर्नीचर और घर की सजावट की वस्तुओं को प्रमाणित करता है। दुनिया भर में 1000 से अधिक कंपनियां भारत और अन्य जगहों पर सामाजिक रूप से जागरूक उपभोक्ताओं को खरीदारी करते समय एक नज़र में वीगन उत्पादों की पहचान करने में सक्षम बनाने के लिए “PETA-अनुमोदित वीगन” लोगो का उपयोग कर रही हैं।

दयालु बनें, वीगन जीवनशैली अपनाएं