कर्नाटक उच्च न्यायालय ने, PETA इंडिया की अपील पर सुनवाई होने तक बेंगलुरु में कंबाला पर रोक लगाई

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया द्वारा दायर याचिका में बेंगलुरु और अन्य क्षेत्रों में बैलों की अवैध दौड़ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी जिसके बाद कर्नाटक सरकार और दक्षिण कन्नड़ समिति ने 26 अक्टूबर 2024 को बेंगलुरु में आयोजित होने वाली इस सार्वजनिक दौड़ पर रोक लगाई। माननीय मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और माननीय न्यायमूर्ति केवी अरविंद की कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक पीठ ने कर्नाटक राज्य को आदेश दिया कि यदि शहर में किसी अन्य कम्बाला आयोजन के लिए परमिट के लिए अनुरोध प्राप्त होते हैं, तो PETA इंडिया को पहले से सूचित किया जाए ताकि ऐसी किसी भी अनुमति को दिए जाने से पहले PETA इंडिया की आपत्तियों को न्यायालय द्वारा सुना जा सके।

PETA इंडिया ने इस मामले पर तत्काल कार्रवाही की अपील मीडिया रिपोर्टों के आधार पर की है, जिनके अनुसार 26 अक्टूबर 2024 से 19 अप्रैल 2025 के बीच कर्नाटक के विभिन्न स्थानों पर कंबाला कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है, जिसमें बेंगलुरु और शिवमोगा जैसे गैर-तटीय क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां ये कार्यक्रम पारंपरिक रूप से आयोजित नहीं किए जाते हैं। बेंगलुरु और अन्य स्थानों पर कंबाला कार्यक्रम आयोजित करने की वैधता पर, जहां यह पारंपरिक रूप से आयोजित नहीं किया जाता है, 5 नवंबर को अदालत द्वारा आगे विचार किया जाएगा।

कम्बाला आयोजनों को रोकने के लिए, PETA इंडिया ने इस दौरान पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता के कुछ नए फुटेज जारी किए हैं। बेंगलुरु में पिछले कम्बाला आयोजन और अन्य हालिया आयोजनों से विचलित करने वाले फुटेज में संचालक बैलों को मारते और उनके खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करते हुए दिखाई देते हैं जिससे यह पीड़ित पशु दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर जाते हैं।

बैल प्राकृतिक रूप से घबराए हुए और शिकार से डरने वाले पशु होते हैं और इसलिए बैलों की दौड़, लड़ाई या जल्लीकट्टू के दौरान इनका प्रयोग करने के दौरान इन्हें दर्द, घबराहट और भय पैदा करके भागने के लिए उकसाया जाता है। PETA इंडिया द्वारा कई वर्षों के दौरान इसके वीडियो साक्ष्य एकत्र किए गए हैं कि बैलों को  जल्लीकट्टू के मैदान में जबरन घुसाने के लिए दरांती या नुकीली लाठियों या उपयोग किया जाता है, उनकी नाक की रस्सियों को बेरहमी से खींचा जाता है या उनकी पुंछ को दांतों से काटा जाता है।

वर्ष 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड बनाम ए नागराजा और अन्य मामले में एक विस्तृत और तर्कसंगत निर्णय पारित करते हुए, जल्लीकट्टू सहित सभी प्रकार के बैलों के प्रदर्शन को भारतीय संविधान और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशुओं को प्रदान किए गए अधिकारों का उल्लंघन घोषित किया था। हालाँकि, यह निर्णय पारित होने के बाद, वर्ष 2017 की शुरुआत में, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने क्रमशः जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलों की दौड़ को अनुमति प्रदान करने के लिए अपने राज्यों के पशु संरक्षण कानूनों में संशोधन किया था।  18 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी इन राज्यों में इस प्रकार के आयोजनों को अनुमति प्रदान करी थी।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा PETA इंडिया एवं अन्य पशु अधिकार संगठनों द्वारा दायर एक ई-मेल याचिका पर विचार करने पर सहमति दर्ज़ कराई गयी जिसमें इन समूहों और अन्य लोगों की 18 मई 2023 के फैसले को बदलने की मांग करने वाली याचिकाओं की तत्काल समीक्षा का अनुरोध किया गया था।

PETA इंडिया लंबे समय से बैलों की अवैध दौड़ के खिलाफ़ अभियान चला रहा है।

बैलों की सहायता करने हेतु कदम उठाएं!!