PETA इंडिया की शिकायत के बाद मुंबई के वन अधिकारियों ने एलेक्जेंड्राइन तोते को अवैध कब्जे से छुड़ाया

Posted on by Shreya Manocha

एक दयालु नागरिक से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि अंधेरी के किसी घर में एक एलेक्जेंड्राइन तोते को बेहद छोटे से पिंजरे में कैद करके रखा गया है, PETA इंडिया ने इस पक्षी को बचाने और इसके कथित अवैध संरक्षक के खिलाफ प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज कराने के लिए मुंबई रेंज के ठाणे वन प्रभाग के साथ मिलकर कार्य किया। यह POR ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972’ की धारा 9, 39, 44, 48 और 48 (A) के तहत दर्ज़ करी गयी है।

इस पक्षी को रेस्कयू के बाद, स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया और अब यह वन विभाग की देखरेख में है। जांच के बाद पता चला कि इस तोते की हालत बहुत खराब है, इसे बहुत कमजोरी है और यह बिल्कुल उड़ नहीं पा रहा है। इसे खुले आसमान में उड़ने के लिए आज़ाद छोड़ने से पहले विभाग द्वारा इलाज़ करके इसकी रिकवरी सुनिश्चित करी जा रही है। एलेक्जेंड्राइन तोते वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति की श्रेणी में आते हैं। संरक्षित प्रजाति के पशुओं को खरीदना, बेचना या पालना एक अपराध है और इसके लिए तीन साल की जेल की सजा और अधिकतम 1 लाख रुपये के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।

पक्षियों के अवैध व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जीवों” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान पिंजरों से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे पिंजरों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें अंधेरे पिंजरों की कैद और अकेले जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।

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