PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, कुत्ते को जबरन बोरे में भरने का वीडिओ सामने आने के बाद बोकारो पुलिस ने FIR दर्ज़ करी

Posted on by Erika Goyal

हाल ही में कुछ वायरल वीडियो सामने आने के बाद कि बोकारो के चंद्रपुरा इलाके में स्थित चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन पर कुछ लोगों ने दो सामुदायिक कुत्तों के पैर बांधने के बाद उन्हें बोरे में भरकर मारने का प्रयास किया, PETA इंडिया ने प्रीति प्रसाद (एडवोकेट) और शंभू सद्भावना फाउंडेशन के कुछ लोगों के साथ मिलकर संबंधित मामले में चंद्रपुरा पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। यह FIR ‘भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023’ की धारा 325 एवं 3(5) और ‘पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960’ की धारा 11 के तहत दर्ज़ करी गयी है। शुरुआत में, इस मामले को अज्ञात लोगों के खिलाफ़ दर्ज़ करा गया था, लेकिन बाद में तीन आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन आरोपियों द्वारा पुलिस को पीड़ित कुत्ते को फेंकने की जगह बताने के बाद, स्थानीय बचावकर्ताओं ने कुत्तों की तलाश करने और उसकी हालत जानने के लिए इलाके की छानबीन करी।

पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023, सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी को स्थानीय नागरिक प्राधिकरण की जिम्मेदारी बनाता है। इसके नियम 11(19) के अंतर्गत केवल नसबंदी के उद्देश्य से सामुदायिक कुत्तों को पकड़ने की अनुमति प्रदान की गयी है और इसके अंतर्गत सामुदायिक पशुओं को स्थानांतरित करना अवैध है। इसके अनुसार, “कुत्तों को [नसबंदी के बाद] उसी स्थान या इलाके में वापिस छोड़ दिया जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था।”

PETA इंडिया पशु क्रूरता के अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल  में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”

सामुदायिक कुत्तों को लोग गोद नहीं लेते जिसके चलते वह अक्सर मानव क्रूरता का शिकार होते हैं या फिर सड़कों पर वाहनों के नीचे आकर दर्दनाक मौत मरते हैं और आमतौर पर भुखमरी, बीमारी या चोट से पीड़ित रहते हैं। हर साल, कई सामुदायिक पशु आश्रयघरों में चले जाते हैं, जहां वे पर्याप्त अच्छे घरों की कमी के कारण पिंजरों या केनेल में पड़े रहते हैं। इस समस्या का समाधान सरल है: नसबंदी क्योंकि एक मादा कुत्ते की नसबंदी करने से छह वर्षों में 67,000 बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है, और एक मादा बिल्ली की नसबंदी करने से सात वर्षों में 4,20,000 बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है।

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